झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के गठबंधन से बाहर आने के साथ ही सोमवार को राज्य में भाजपा नीत अर्जुन मुंडा सरकार अल्पमत में आ गई. दोनों पार्टियों के बीच सत्ता हस्तांतरण को लेकर विवाद पैदा हो गया था. सरकार के अल्पमत में आ जाने से राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है.
झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के बेटे और राज्य के उप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संवाददाताओं से कहा, 'हमने सरकार से समर्थन वापस ले लेने का फैसला लिया.'
हमने भाजपा नेताओं के सामने कुछ बिंदु रखे हैं जिनमें नेतृत्व परिवर्तन और 28 माह बाद सत्ता साझेदारी शामिल है. पार्टी ने झामुमो प्रमुख के खिलाफ कथित अशोभनीय टिप्पणी के लिए एक भाजपा सांसद से माफी मांगने की शर्त रखी है.
औपचारिक रूप से समर्थन वापसी का फैसला पार्टी प्रमुख शिबू सोरेन लेंगे. यह पूछे जाने पर कि समर्थन वापसी का पत्र सौंपने राज्यपाल के पास कब जाएंगे, हेमंत ने कहा, 'हम जल्द ही आपको सूचित करेंगे.'
सोमवार सवेरे यहां झामुमो कार्यकारिणी की बैठक हुई. मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा भी शिबू सोरेन को मनाने उनके आवास पर पहुंचे थे. मुलाकात के बाद मुंडा ने मीडिया को कुछ भी नहीं बताया.
रविवार की रात झामुमो ने घोषणा की थी कि उसकी कार्यकारिणी की बैठक में सोमवार को भाजपा के साथ गठबंधन जारी रखने या नहीं रखने पर फैसला लिया जाएगा.
गठबंधन में दरार तभी से दिखने लगी थी जब 3 जनवरी को अर्जुन मुंडा ने झामुमो को लिखित उत्तर में दोनों दलों के बीच 28 माह बाद सत्ता हस्तांतरित करने का कोई समझौता होने से इनकार कर दिया. 28 माह की अवधि 10 जनवरी को पूरी हो जाएगी.
मुंडा सरकार में उप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत झामुमो के पांच मंत्री हैं. सितंबर 2010 को झामुमो के 18 विधायकों के समर्थन से भाजपा नीत मुंडा सरकार का गठन हुआ था.
82 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा के भी 18 विधायक हैं. इसके अलावा पार्टी को अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) के छह और जदयू के दो विधायकों का समर्थन हासिल है.