scorecardresearch
 

राष्ट्रपति से मिल CNT/SPT एक्ट से जुड़े अध्यादेश की शिकायत करेंगे झामुमो नेता

झामुमो के मुताबिक जिस तरह से सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन के लिए अध्यादेश लाया गया वह उचित नहीं है. इस पर सभी से विचार किया जाना चाहिए था.

Advertisement
X
शिबू सोरेन
शिबू सोरेन

Advertisement

झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन के नेतृत्व में पार्टी के विधायकों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार शाम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलेगा. इस प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन भी शामिल होंगे. दरअसल झामुमो की ओर से सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन से जुड़ा अध्यादेश को वापस करने का राष्ट्रपति से अनुरोध किया जाएगा.

झामुमो के मुताबिक जिस तरह से सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन के लिए अध्यादेश लाया गया वह उचित नहीं है. इस पर सभी से विचार किया जाना चाहिए था.

क्या है सीएनटी/एसपीटी एक्ट 1908
सीएनटी यानि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 दरअसल छोटानागपुर और संथालपरगना में आदिवासी जमीन के अवैध तरीके से हो रहे खरीद फरोख्त को रोकने के लिए अंग्रेजो द्वारा बनाया गया था. हालांकि समय-समय पर इसमें संसोधन होते रहे हैं. यह एक्ट संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल है और यह ज्यूडिशल रिव्यु से बाहर है. सीएनटी एक्ट की धारा 46 के मुताबिक राज्य के छोटानागपुर और पलामू डिविजंस में एससी/एसटी या ओबीसी की जमीन सामान्य लोग नहीं खरीद सकते. वहीं इन जातियों के लोगों पर भी बिना उपायुक्त की अनुमति के अपने ही लोगों को जमीन हस्तांतरित करने या बेचने पर पाबंदी है.

Advertisement

इसके अलावा दो आदिवासियों के बीच जमीन की बिक्री उपायुक्त की अनुमति से की जा सकती है, बशर्ते दोनों एक ही थाना क्षेत्र के रहनेवाले हों. वहीं अफसरों द्वारा गलत शपथ पत्र के द्वारा जमीन हासिल करने पर आईपीसी की धारा 463 और 466 के तहत दो से सात वर्षों की सजा का प्रावधान है, साथ ही खरीदी हुई जमीन भी मूल रैयत को लौटानी होगी.

पूरे सत्र में कामकाज ठप रहा
गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में एक भी दिन सुचारू ढंग से काम नहीं हुआ. वैसे सूबे में सीएनटी/एसपीटी एक्ट को धता बताकर हजारों लोगों ने गलत तरीके से आदिवासियों की जमीन हड़पी है. ऐसे करीब 10 हजार मामले आज भी विभिन्न न्यायालयों में लंबित है.

Advertisement
Advertisement