झारखंड के राजभवन की तीन दिन से चुप्पी हेमंत सोरेन सरकार को हैरान कर रही है. रविवार को आखिरकार सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने एक पत्र जारी किया और खुलकर राजभवन पर भड़ास निकाली. इतना ही नहीं, इशारों ही इशारों में राजभवन को चेतावनी तक दे डाली. पत्र की शुरुआत में JMM ने कानून का हवाला दिया. फिर राजभवन की चुप्पी पर सवाल दागे. इसके साथ ही फैसले में देरी की वजह से हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका भी जताई.
पत्र में जेएमएम ने आदिवासी कार्ड भी खेला और बीजेपी पर हमला बोला. कहा- झारखंड में एक गैंग चल रहा है और यहां आदिवासी मुख्यमंत्री होने की बात किसी को पच नहीं रही है. साथ ही चेतावनी भी दी कि झारखंड हक के लिए झुकाना भी जानते हैं. आखिर में राज्यपाल को संविधान को जिम्मेदारी को बोध भी कराया. पढ़िए पत्र की प्रमुख बातें...
- Representation of the people act 1951, section 9 (A) जिसके अंतर्गत हेमंत सोरेन के सदस्यता रद्द करने की अटकलें लगाई जा रही हैं. ऐसे मामले में आज तक कभी भी किसी की सदस्यता रद्द नहीं हुई तो फिर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर ऐसा बर्ताव क्यों?
- क्या कारण है कि चुनाव आयोग के पत्र पर राज्यपाल महोदय ने अभी तक अपना मंतव्य नहीं दिया है? ऐसी क्या कानूनी सलाह है जो वो नहीं ले पा रहे हैं? ये तो सरासर लोकतंत्र और जनता का अपमान है.
- क्या समय काटकर राजभवन विधायकों के खरीद-फरोख्त को हवा देना चाहता है? हमने महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में भी राज्यपाल के पद की गरिमा को गिरते हुए देखा है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. हम किसी की अनुकंपा पर सरकार में नहीं आए हैं.
- बड़ा दुखद है कि राज्य में एक बाहरी गैंग काम कर रहा है. नीचे से ऊपर तक बैठे इस गैंग के सभी लोगों में एक समानता है. समानता है इनके मकसद में. झारखंड और झारखंड के लोगों के प्रति इनके मनमें थोड़ा सा भी स्नेह नहीं है.
- भाजपा एवं इनकी अनुषंगी संस्थाओं को क्या नहीं पच रहा है? एक आदिवासी राज्य का मुख्यमंत्री बना हुआ है. वह इन्हें नहीं पच रहा है या हम भारत सरकार से झारखंड के हक के लिए लड़ रहे हैं, वह इन्हें पच नहीं रहा है. एक बात कान खोलकर सुन लें कि झारखंडी अगर किसी के सम्मान में झुकना जानता है तो अपने हक के लिए दूसरों को झुकाना भी जानता है.
- अराजक स्थिति की ओर राज्य को धकेलने से बचें. आप महामहिम हैं. आदिवासी-दलित के अधिकार के संरक्षण का जिम्मा आपके कंधों पर संविधान ने दिया है.
गठबंधन नेता बोले- राज्यपाल क्या छिपा रहे हैं... खुलकर बताएं
वहीं, झारखंड सरकार में शामिल महागठबंधन ने भी हेमंत सोरेन के विधायक पद से अयोग्यता की चर्चाओं पर प्रतिक्रिया दी. JMM के नेता और कैबिनेट मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि जिस मामले की बात की जा रही है, उसमें किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है. हमने सुना है कि चुनाव आयोग की ओर से राजभवन को पत्र आया है. हालांकि, राज्यपाल ने अभी तक इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया है. हमें लगता है कि ये लोकतंत्र का मजाक है जिसे हम देख रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि हमने महाराष्ट्र को हॉर्स ट्रेडिंग करते देखा है. हमारा गठबंधन मजबूत है. हर कोई जानना चाहता है कि आगे क्या होगा. राज्यपाल पर झारखंड के लोगों की बेहतरी की जिम्मेदारी है. इस राज्य के लोगों के लिए बीजेपी की मानसिकता स्पष्ट है.
बन्ना गुप्ता बोले- राज्यपाल निर्णय लें, हम जवाब देंगे
कांग्रेस नेता और कैबिनेट मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि जब सीएम राज्य की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं. उनके और हमारे खिलाफ एक सुनियोजित साजिश रची जा रही है ताकि लोग डरें, लेकिन हम लोग डरते नहीं हैं. हम राज्यपाल से जानना चाहते हैं कि अगर चुनाव आयोग ने आदेश दिया है तो उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है. ईडी छापेमारी करता है यह नहीं बताता कि उन्हें छापे में क्या मिला है. उन्होंने आगे कहा कि निर्णय लें और हम जवाब देंगे, लेकिन राज्यपाल निर्णय नहीं ले रहे हैं. हम लोकतांत्रिक तरीके से कार्य करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर आप 356 लागू करना चाहते हैं तो बताएं. अगर नहीं करना चाहते हैं तो सरकार को लोगों के लिए काम करने दें. राज्यपाल हम सभी को बताएं कि अधिसूचना क्या है.
हॉर्स ट्रेडिंग का माहौल बनाया जा रहा है: मरांडी
JMM नेता स्टीफन मरांडी ने कहा कि राज्यपाल के पास जो कुछ भी है उसे सार्वजनिक करें ताकि हम सब समझ सकें. ऐसा माहौल बनाया जा रहा है, जहां खरीद-फरोख्त हो सके. राज्यपाल को तुरंत घोषणा करनी होगी.
बंद लिफाफे में भेजी गई राय
बता दें कि तीन दिन पहले चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैंस को एक याचिका पर अपनी राय भेजी है. बीजेपी की ओर से दायर इस याचिका में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खुद को एक खनन पट्टा जारी करके चुनावी कानून का उल्लंघन करने के लिए एक विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है. झारखंड के राज्यपाल ने इस मामले को चुनाव आयोग के पास भेजा था. चुनाव आयोग ने बंद लिफाफे में अपनी राय राज्यपाल को भेजी है.