झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सत्ता में आने के बाद कैलेंडर बनाकर झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के जरिए हर वर्ष अधिकारियों की नियुक्ति की बात कही थी. मुख्यमंत्री की इस घोषणा से राज्य के लाखों प्रतियोगी छात्रों में उम्मीद की किरण भी जगी थी कि अब उन्हें सरकारी नौकरी पाने का अवसर मिलेगा. समय पर विज्ञापन आएंगे और नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी आएगी.
JPSC की परीक्षा में देरी
सीएम की घोषणा से ऐसे छात्रों को और अधिक खुशी हुई जो लंबे समय से सरकारी नौकरी पाने के लिए तैयारी करते हुए निर्धारित उम्र सीमा के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके थे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. एक तरफ इसके पीछे कोरोना बड़ी वजह बनी और दूसरी तरफ उससे ज्यादा सरकार का वहीं उदासीन रवैया. ऐसे में छात्रों की नाराजगी तब और बढ़ गई जब छठी जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को लेकर हाई कोर्ट के निर्देश पर सरकार द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.
सरकारी नौकरी का टूटता सपना
परीक्षा आयोजन में गड़बड़ी को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाला झारखंड लोक सेवा आयोग इन दिनों हाईकोर्ट के छठी सिविल सेवा परीक्षा को लेकर दिए गए फैसले के बाद सुर्खियों में है. एक बार फिर आयोग द्वारा मेधावी छात्रों के साथ भेदभाव उजागर हुआ है. विवादों के बीच अब तक राज्य गठन के बाद से मात्र 6 बार सिविल सेवा परीक्षा आयोजित हुईं हैं. हेमंत सरकार ने जेपीएससी को कैलेंडर बनाकर परीक्षा समय से लेने का जो निर्देश दिया था वो हवा हवाई साबित हो रहा है.
कोरोना बन गया बड़ी वजह
सातवीं से दसवीं तक की जेपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा एक साथ आयोजित करने के लिए विज्ञापन तो निकले लेकिन कोरोना के कारण उन परीक्षाओं को भी स्थगित करना पड़ा. ऐसे में छात्र काफी परेशान हैं. इधर, हाई कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए छात्र छठी जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को या तो रद्द करने की मांग कर रहे हैं या नया मेरिट लिस्ट जारी कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं.
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मंत्री मिथिलेश ठाकुर का मानना है कि सरकार घोषणा के अनुरूप काम कर रही है. कोरोना के कारण परीक्षाएं स्थगित हुईं हैं लेकिन जल्द इसकी घोषणा की जाएगी.
जेपीएससी द्वारा जारी परीक्षा कैलेंडर आउटडेटेड होने के बावजूद अभी तक आयोग की वेबसाइट शोभा बढ़ा रही है. कैलेंडर में सातवीं से दसवीं की पीटी परीक्षा मई में ही आयोजित होनी थी. इसी तरह अन्य परीक्षाओं की भी तिथि दी गई है.