झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन को मिले बहुमत ने बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया है. इस जीत के सबसे बड़े नायक के रूप में उभरे हैं झामुमो नेता हेमंत सोरेन, जो अगले मुख्यमंत्री भी बनने जा रहे हैं. लेकिन एक नाम ऐसा भी है, जिसने पर्दे के पीछे रहकर ये सुनिश्चित किया कि बीजेपी को हराने के लिए तीनों दल मजबूती से एक साथ खड़े रहें और ये नाम है लालू प्रसाद यादव.
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव इस वक्त झारखंड की एक जेल में चारा घोटाले केस में सजा काट रहे हैं. हालांकि, फिलहाल वो तबीयत खराब होने के चलते रांची के रिम्स अस्पताल में हैं और उन्होंने यहीं से झारखंड चुनाव में अहम भूमिका निभाई है.
चुनाव होने तक महागठबंधन में उभरे मतभेद को दूर कर तीनों दलों को एक साथ जोड़े रखने का श्रेय लालू प्रसाद यादव को ही दिया जा रहा है. महागठबंधन के सूत्रों के मुताबिक इस बार कमान तेजस्वी यादव की बजाय लालू यादव ने खुद अपने हाथों में रखी. झारखंड में आरजेडी भले ही एक सीट जीती हो लेकिन पार्टी से ज्यादा लालू यादव की भूमिका हर कोई स्वीकार कर रहा है. इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है नतीजों के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में हेमंत सोरेन ने जनादेश के लिए जनता का शुक्रिया अदा करते हुए अपने पिता शिबु सोरेन और लालू प्रसाद यादव का शुक्रिया अदा किया. हालांकि, सोरेन ने गठबंधन के दूसरे दल को भी धन्यवाद किया.
7 सीटों पर लड़ी थी आरजेडीमहागठबंधन में आरजेडी को 7 सीटें मिली थीं. तेजस्वी यादव ने इसका पुरजोर विरोध किया था, लेकिन लालू यादव ने तेजस्वी को महागठबंधन के साथ रहने की हिदायत दी और हेमंत सोरेन से बात करने के लिए कहा. तेजस्वी ने महागठबंधन की साझा प्रेस कांफ्रेस से दूरी बनाकर महागठबंधन के भविष्य पर सवालिया निशान लगा लिया था. इसके बाद लालू यादव ने तेजस्वी को महागठबंधन के साथ चलकर वोटों के बिखराव न होने देने का फरमान सुनाया.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी लालू यादव की भूमिका को अहम बताया है. उन्होंने कहा, 'लालूजी के अनुभव ने महागठबंधन को बचा लिया और उनके अनुभव ने ही घमंडी भाजपा को हराने में महागठबंधन की मदद की.' रघुवंश प्रसाद ने यह भी बताया कि उचित समय पर लालू के दखल के कारण राज्य में भाजपा विरोधी दल एक हुए, क्योंकि उन्होंने तेजस्वी को राजद के लिए सात सीटों का फॉर्मूला मानने के लिए सहमत कर लिया था.
बताया जा रहा है कि झामुमो को बड़े भाई की भूमिका में रखकर कांग्रेस और आरजेडी ने बड़ा दिल दिखाया, जिसका नतीजा ये हुआ कि बीजेपी को झारखंड की सत्ता से बाहर का रास्ता देखना पड़ा. हालांकि, आरजेडी ने महज एक सीट पर जीत दर्ज की है, लेकिन बताया जा रहा है कि आरजेडी के खाते में मंत्रीपद दिया जाएगा.