चारा घोटाले के देवघर कोषागार से जुड़े एक मामले में सजा पाने के बाद यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख रुपये के गबन के एक अन्य मामले में भी बहस पूरी हो गयी है. जनवरी के अंत तक इसमें भी फैसला आ सकता है.
सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख रुपये फर्जी ढंग से निकालने से संबद्ध आरसी 68ए/96 मामले में भी सीबीआई के विशेष न्यायाधीष स्वर्ण शंकर प्रसाद की अदालत में बहस पूरी हो गयी है. इस मामले में बुधवार को फैसला सुरक्षित हो जाने की संभावना है.
अदालत इस मामले में बुधवार को फैसला सुरक्षित कर लेती है तो जनवरी माह में ही इस मामले में भी फैसला आ जाने की पूरी संभावना है. इससे पूर्व अभी छह जनवरी को रांची में ही सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने लालू यादव को देवघर कोषागार से जुड़े चारा घोटाले के एक मामले में साढ़े तीन वर्ष के सश्रम कारावास और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी. अब लालू के पास जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई अन्य चारा नहीं बचा है.
पीटीआई की खबर के अनुसार सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि देवघर कोषागार से फर्जीवाड़ा करके अवैध ढंग से धन निकालने के इस मामले में लालू प्रसाद यादव एवं अन्य के खिलाफ सीबीआई ने आपराधिक षड्यन्त्र, गबन, फर्जीवाड़ा, साक्ष्य छिपाने, पद के दुरुपयोग आदि से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120बी, 409, 418, 420, 467, 468, 471, 477ए, 201, 511 के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत मामला दर्ज किया था. लालू प्रसाद प्रसाद यादव के खिलाफ चारा घोटाले से जुड़े कुल पांच मामलों में रांची में मुकदमे चल रहे थे, जिनमें चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में उन्हें और जगन्नाथ मिश्रा को 30 सितंबर, 2013 को दोषी ठहराये जाने के बाद तीन अक्तूबर को क्रमश: पांच वर्ष कैद, 25 लाख रुपये जुर्माने और चार वर्ष कैद की सजा सुनायी जा चुकी है.
लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चारा घोटाले में यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमें सजा सुनायी गयी है. इस आदेश के आने के बाद अब लालू हैबीचुअल ऑफेंडर की श्रेणी में आ गये हैं. इसके अलावा उनके खिलाफ रांची में डोरंडा कोषागार से 184 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी से जुड़ा मामला, दुमका कोषागार से तीन करोड़, 97 लाख रुपये निकासी का मामला और चाईबासा कोषागार से अवैध रूप से 35 करोड़, 62 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़े मामले के मुकदमे चल रहे हैं. जिनकी सुनवाई अंतिम दौर में है.
दुमका कोषागार से जुड़े मामले में भी गवाहियां लगभग पूरी हो गयी हैं और इस मामले में भी फरवरी में फैसले की उम्मीद की जा सकती है. डोरंडा कोषागार से फर्जीवाड़ा करके 184 करोड़ रुपये गबन करने के मामले में सौ से अधिक गवाहों की गवाही होनी है, लिहाजा उसमें कुछ समय लग सकता है.