झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल यानी रांची के रिम्स में इसी महीने 28 दिनों में 103 बच्चों की मौत की बात सामने आ रही है. ठीक ऐसा ही आंकड़ा जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में भी उजागर हुआ था. एमजीएम अस्पताल में चार महीने के भीतर 164 बच्चों की मौत को लेकर NHRC ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर रखा है और अभी इसकी जांच पूरी भी नहीं हुई है.
जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में चार माह में 164 बच्चों की मौत की जांच पूरी भी नहीं हुई है कि रांची में भी बच्चों की मौत की बात सामने आ रही है. रिम्स के शिशु विभाग के आंकड़ों की मानें तो इस माह 28 दिनों में अस्पताल में 133 बच्चों की मौत हो गई. करीबन 3000 करोड़ के बजट वाले इस अस्पताल में वैसे तो शिशु विभाग में 18 बेड का स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट संचालित है. इसमें समय से पहले जन्म लेने वाले और निर्धारित से कम वजन वाले बच्चों का इलाज किया जाता है. इस यूनिट में अत्याधुनिक जीवन रक्षक उपकरण भी लगाये गये हैं. बावजूद इसके शिशु मृत्यु दर में कमी नहीं आ रही है.
सबसे बड़े इस अस्पताल में इस साल आठ माह में 709 बच्चों की मौत हो गयी. रिम्स के इस शिशु विभाग में इस साल जनवरी में 86 बच्चों की मौत हो गयी. फरवरी में 48, मार्च में 95 और अप्रैल में 88 बच्चे मर गये. इसी तरह मई में 107, जून में 69 और जुलाई में 113 बच्चों की मौत हो गयी. इसी अगस्त माह में अब तक 103 बच्चे मर गये. राज्य के अन्य जिलों के सरकारी अस्पतालों के आंकड़ों को जोड़ दिया जाए तो बच्चों की संख्या काफी अधिक बढ़ जायेगी.
गौरतलब है कि जमशेदपुर में 90 दिनों के अंदर 134 बच्चों की मौत को लेकर कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. अजय कुमार के नेतृत्व में राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास सहित स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ स्थानीय साकची थाने में गैर इरादतन हत्या के मामले पर लिखित शिकायत भी दर्ज की गई है.