ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट यानि 'मोमेंटम झारखंड के दूसरे दिन आज रांची में निवेशकों से करीब तीन लाख करोड़ के प्रस्तावों पर MOU किये गए. झारखण्ड में इंडस्ट्री और माइंस सेक्टर में सबसे अधिक प्रस्ताव मिले, जबकि अर्बन डेवलपमेंट निवेशकों की दूसरी पसंद रहा.
दो दिनों तक चले इस समिट में देश के बड़े औद्योगिक घराने शामिल हुए, जबकि देश-विदेश के सैकड़ों व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों ने भी समिट में भागेदारी की. केंद्र की ओर से भी स्किल डेवलपमेंट में निवेश करने की बात कही गई. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने समिट को सफल बताया.
निवेशकों की पसंद बना झारखंड
झारखण्ड में पहली बार हो रहे निवेशकों के सम्मेलन में देश के बड़े औद्योगिक घरानों के साथ कई देशों ने भी राज्य में निवेश की इच्छा जताते हुए MOU पर हस्ताक्षर किए. निवेश के सबसे अधिक प्रस्ताव इंडस्ट्री और माइंस सेक्टर में मिले, जहां कुल 121 प्रस्ताव प्राप्त हुए. वहीं अर्बन डेवलपमेंट में 17 प्रस्ताव मिले. इस दौरान कुल मिलाकर 209 प्रस्तावों पर MOU साइन किये गए.
इन प्रस्तावों से झारखण्ड में 2 लाख लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा और अप्रत्यक्ष तौर पर 3 लाख लोग लाभान्वित होंगे. केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि आनेवाले दिनों झारखंड एक नए औद्योगिक राज्य के रूप में उभरेगा. ग्लोबल समिट में आए मुंबई के कार्निवाल ग्रुप की ओर से झारखंड के विभिन्न जिलों में 75 स्क्रीन का मल्टीप्लेक्स खोला जाएगा.
मैट्रिक्स की ओर से टैक्सटाइल फैक्टरी लगाने का प्रस्ताव दिया गया. विदेशी कंपनियों में चीन के व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल चाइना ट्रेड फोरम ने रांची में पीओएस मशीन के निर्माण का प्लांट लगाने की इच्छा जताई. साथ ही बैंक ऑफ चाइना के लिए भी प्रस्ताव दिया. उन्होंने बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में लाइसेंस के लिए प्रस्ताव दिया जा चुका है. चीन की कंपनियां झारखंड को प्रमोट करेंगी. चेक रिपब्लिक की कंपनी वीकेए एसोसिएट्स ने पेट्रो कार्ड माइक्रो पेट्रोल पंप लगाने का प्रस्ताव दिया. इस मशीन के उत्पादन की इकाई भी झारखंड में लगाई जाएगी.
विकास की राह पर आगे बढ़ेगा झारखंड
झारखंड बीते 16 वर्षो से जारी राजनितिक अस्थिरता की वजह से विकास की दौड़ में कहीं पीछे रह गया है. ऐसे में संसाधनों के रहते भी प्रदेश अपने साथ अस्तित्व में आए दूसरे राज्यों से पिछड़ गया. ऐसे में मोमेंटम झारखंड ने झारखंड में रोजगार और विकास के कई रास्तों को खोलने का काम जरूर किया है, लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि किस तरह सरकार एक्ट के जंजालों से बाहर निकल कर निवेशकों को जमीन मुहैया करा पाती है.