मां शब्द की पूर्ण व्याख्या करने में आज तक कोई भी सफल नहीं हो पाया है. दरअसल यह छोटा सा शब्द अपने आप में इतना व्यापक है कि इसमें समूचा ब्रह्माण्ड समा सकता है. मां की ममता, त्याग और बलिदान की कहानियां अक्सर सामने आती रहती हैं. ऐसा ही एक वाकया झारखंड के लौहनगरी जमशेदपुर में रविवार को सामने आया. जब लोगों के लाख रोकने के बाबजूद एक मां ने अपनी जान की परवाह न करते हुए आग की लपटों में घिरी अपनी मासूम बेटियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया. लोग यह कह रहे हैं कि ये कारनामा एक मां ही कर सकती है.
घर में लगी थी आग, बेटियां अंदर सो रही थीं
जमशेदपुर के सोनारी इलाके में सोनारी एयरपोर्ट गेट के सामने केजर बंगला नंबर-7 के आउट हाउस में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई. यह आग धीरे-धीरे बढ़ते हुए रतन पाइक के कमरे तक पहुंच गई. रतन टेम्पो चलाने के साथ-साथ केबल का काम भी करता है. घटना के समय रतन और उसकी पत्नी नंदिनी काम से बाहर गए थे. वहीं रतन की तीन बेटियां घर के अंदर थीं. जिनमे सात साल की परी और तीन साल की रुही सो रही थी, जबकि बड़ी बेटी 8 साल की नीलम बाथरुम में थी. धुआं निकलने पर लोग जुटने लगे. इस बीच नंदिनी घर पहुंची.
कमरे से आग की लपटें निकलता देख वह कुछ समझ नहीं पाई. अंदर दोनों बेटियों के रोने की आवाज सुनकर नंदिनी उन्हें बचाने दौड़ी. लोगों ने रोकने का प्रयास किया, लेकिन नंदिनी ने धधकती विकराल आग की लपटों की परवाह न करते हुए अपनी दोनों बेटियों को सही सलामत बाहर निकाल लिया. फिर उसने बड़ी बेटी नीलम की तलाश की तो पता चला कि वह बाथरूम में नहा रही है.
जमा पूंजी स्वाहा होने का गम नहीं
जब इसकी सूचना टाटा स्टील के दमकल विभाग को मिली तो उसने दो घंटे में आग पर काबू पाया. मां नंदिनी के मुताबिक इस घटना में टीवी, फ्रीज, गहने ,बर्तन, कपड़े समेत सारा सामान जल गया. साथ ही वहां रिपेयर के लिए रखे गए ग्राहकों के सामान भी जल गए लेकिन उनको इस बात का संतोष है कि जिंदगी भर की जमा पूंजी एक झटके में खोकर भी मैंने अपनी बेटियों को बचा लिया.