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खतरे में झारखंड के पहाड़, अवैध तरीके से निकाले जा रहे पत्थर

अपने खूबसूरती के लिए मशहूर झारखंड के पहाड़ों का वजूद पत्थरों के अवैध उत्खनन की वजह से खतरे में पड़ गया है. अब तक सूबे से तीन दर्जन से अधिक पहाड़ों का नामोनिशान मिट चुका है और कई दर्जन खत्म होने की कगार पर हैं.

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खतरे में झारखंड के पहाड़
खतरे में झारखंड के पहाड़

अपने खूबसूरती के लिए मशहूर झारखंड के पहाड़ों का वजूद पत्थरों के अवैध उत्खनन की वजह से खतरे में पड़ गया है. अब तक सूबे से तीन दर्जन से अधिक पहाड़ों का नामोनिशान मिट चुका है और कई दर्जन खत्म होने की कगार पर हैं.

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नियम कानून को ठेंगा
दबंग पत्थर माफियाओं ने सारे नियम कानून को ठेंगा दिखाते हुए न केवल अवैध तरीके से पत्थर निकाले हैं बल्कि पर्यावरण को भी खासा नुकसान पहुंचाया है, जबकि इन अवैध उत्खननों की निगहबानी के लिए उत्तरदायी खान विभाग कानों में तेल डाले सोया पड़ा है.

आदिवासी संस्कृति में है पहाड़ों का महत्व
झारखण्ड की आदिवासी संस्कृति में पहाड़ों , वन और नदियों का खास महत्व है और यहां रहनेवाले आदिवासियों से यह सीधी तौर पर जुड़ा है. इसके बावजूद झारखंड में इन पहाड़ो को बचाने के लिए अबतक कोई प्रयास नहीं किये गए हैं.

जागरुकता है जरूरी
हेवी ब्लास्टिंग के जरिए अवैध तरीके से पहाड़ो को तोड़ा जा रहा है. इस अवैध धंधे में माफियाओं का एक सुसंगठित तंत्र काम करता है, जिसके तार दूसरे राज्यों तक फैले हुए हैं. ऐसे में बेतरतीब तरीके से की जा रही अवैध उत्खनन से पर्यावरण को गंभीर खतरा पैदा हो गया है. वहीं खनन के लिए उत्तरदायी खनन विभाग का भी मानना है कि इसे रोकने के लिए लोगों में जागरुकता का होना बेहद जरूरी है.

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बच्चों पर जान का खतरा
ब्लास्टिंग की वजह से आसपास के गांवों पर भी खतरा मंडरा रहा है. कई जगहों पर तो स्कूलों की दूरी ब्लास्ट साइट्स से चंद फासलों पर है. जिसकी वजह से पढ़ने वाले बच्चों पर भी जान का खतरा बना हुआ है. जिन पहाड़ो की कटाई हो रही है, वो आबादी से बिलकुल सटे हैं.

पुलिस -प्रशासन की मिलीभगत
पुलिस -प्रशासन की मिलीभगत और खनन विभाग की अकर्मण्यता ने स्थिति को और भयानक बना दिया है. जिसकी वजह से पत्थर माफियाओं के हौसले काफी बुलंद हैं और वे बिना किसी वैध लीज के ही पहाड़ो को जमींदोज कर रहे हैं. वहीं इन पत्थरों को तोड़ने के काम में आनेवाले विस्फोटकों का अवैध कारोबार भी जोरशोर से जारी है.

पत्थरों की अच्छी गुणवत्ता
पत्थरों की गुणवत्ता काफी अच्छी होने की वजह से रियल इस्टेट कारोबारियों के बीच इसकी काफी मांग है. झारखंड के पांच जिलों से जहां 38 पहाड़ गायब हो चुके हैं, वहीं 24 पहाड़ पूरी तरह खत्म होने की स्थिति में हैं. इनके आकार नाम मात्र के बचे हैं. इस खेल में पत्थर माफिया के अलावा कुछ भ्रष्ट अफसर और नेता भी शामिल हैं. नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए पहाड़ों की खुदाई हो रही है.

पुलिस को कार्यवाही से किया दूर
अवैध उत्खनन को रोकने की जिम्मेदारी खनन विभाग, वन विभाग, जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण परिषद की है, पर इस इलाके में कोई भी अपनी भूमिका नहीं निभा रहा. माफियाओं के साथ मिलीभगत की बात सामने आने के बाद सरकार ने अधिसूचना जारी कर पुलिस को फौरी कार्यवाही से दूर कर दिया है और अवैध खनन रोकने के लिए जिला खनन पदाधिकारी को मनोनीत किया है.

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आसानी से दी जा रही लीज
झारखंड सरकार आसानी से पहाड़ियों को काटने के लिए लीज दे रही है. पहाड़ो के खत्म होने से इन पहाड़ो से निकलनेवाली नदियां सूख जाएंगी और पहाड़ के साथ-साथ जंगल भी खत्म हो जायेंगे. यही नहीं राजमहल की पहाड़ियों के पास कुछ ऐसे फॉसिल्स पाये गये हैं, जो 10 लाख साल पुराने हैं. यह पहाड़ भी अवैध खनन की जद में आ गए हैं. ऐसे में अब भी नहीं चेते, तो प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने का नतीजा भुगतने के लिए लोगों को तैयार रहना चाहिए.

 

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