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'लेवी' के जरिए करोड़ों की धनउगाही कर रहे हैं नक्‍सली

नक्सलवाद आज नासूर बन चूका है लेकिन ऐसा लगता है कि झारखंड में सब कुछ जानते हुए भी पुलिस और प्रशासन इस ओर से आंखे मूंदे हुए है.

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नक्‍सली कैंप
नक्‍सली कैंप

नक्सलवाद आज नासूर बन चूका है लेकिन ऐसा लगता है कि झारखंड में सब कुछ जानते हुए भी पुलिस और प्रशासन इस ओर से आंखे मूंदे हुए है.

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आज तक को हाथ लगी नक्सलियों की एक लेवी डायरी, जो बताती है कि नक्सलियों की आमदनी का जरिया क्या है. दो साल पुरानी यह डायरी झारखंड पुलिस के पास मौजूद है, बावजूद इसके पुलिस ने ना तो इसे गंभीरता से लिया और ना ही लेवी देने वालों से कभी पूछ-ताछ की. जबकि कानून की नजर में लेवी देने वाले भी उतने ही दोषी हैं, क्‍योंकि यही नक्सलवाद के सबसे बड़े पोषक हैं.

झारखंड पुलिस के हाथ लगी कच्ची लेवी डायरी में विभिन्न नामों के आगे दर्ज रकम लाखों में है. भले ही ये डायरी दो साल पुरानी है लेकिन ये तो सिर्फ एक बानगी है, ऐसे न जाने कितने नाम होंगे जिन्हें नक्सलियों ने अपने आतंक से साध लिया है.

इन्हीं पैसों की वजह से झारखंड में नक्सलियों के अलग-अलग संगठनों ने कोहराम मचा रखा है और सूत्रों की मानें तो हर महीने ये सभी संगठन करोड़ों की उगाही करते हैं. पुलिस सूत्रों की मानें तो एमसीसी अकेले झारखंड में सालाना 135 से 145 करोड़ की वसूली करता है.

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गौरतलब है की झारखंड में आयरन और बॉक्साइट, कोयला, पत्थर, माइका और इनसे जुड़े उद्योगों की भरमार है और इन्हीं जगहों पर नक्सलियों ने अपना वर्चस्व बना लिया है.

आपको ये जानकर हैरत होगी कि अकेले झारखंड में नक्सलियों के 13 छोटे-बड़े संगठन मौजूद हैं, जो खनन से लेकर ट्रांसपोर्टिंग तक के हर काम के लिए मोटी रकम वसूलता है, जिसमें PLFI और MCC का दबदबा सबसे अधिक है.

इस कथित डायरी में नाम आने और अबतक पकड़े गए नक्सलियों के इकरार के बावजूद पुलिस ने न तो कभी इन उद्योगों को चलानेवालों से कोई जबाब-तलब किया है और न ही इस दिशा में कोई कानूनी कारवाई की. ऐसे में नक्सली अपने वसूली के काम को बदस्तूर जारी रखे हुए हैं.

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