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झारखंड में जबरन रिटायर कराए जाएंगे 'नकारा' अफसर!

झारखंड सरकार ने वैसे अक्षम कर्मचारियों और अधिकारियों को चिन्हित करने का काम शुरू कर दिया है जिनकी वजह से सरकारी कामकाज प्रभावित होता है. साथ ही उनके खिलाफ सरकार ने कार्रवाई भी शुरू कर दी है.

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झारखंड सरकार
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झारखंड सरकार ने वैसे अक्षम कर्मचारियों और अधिकारियों को चिन्हित करने का काम शुरू कर दिया है जिनकी वजह से सरकारी कामकाज प्रभावित होता है. साथ ही उनके खिलाफ सरकार ने कार्रवाई भी शुरू कर दी है. बीते सप्ताह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संत कुमार वर्मा को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने का फैसला लिया गया था. दरअसल वर्मा कल्याण विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात थे. पिछले डेढ़ साल से वे छुट्टी पर चल रहे थे. परेशान होकर राज्य सरकार ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी. नोटिस मिलने के बाद वर्मा ने बीमारी के कारण स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन दिया था. इसे फौरन स्वीकार कर लिया गया.

ड्यूटी पर नशा करने वालों पर भी गिर सकती है गाज
सरकार के रडार पर ड्यूटी पर शराब पीने वाले अधिकारी भी हैं. सरकार का मानना है कि इसकी वजह से सरकारी कामकाज पर असर पड़ता है. ऐसे अफसरों से भी सरकार जल्द ही तौबा करने की योजना में है. कार्मिक, प्रशासनिक सुधार व राजभाषा विभाग ने सभी विभागीय सचिवों, प्रधान सचिवों, आयुक्तों व उपायुक्तों को पत्र लिखकर वैसे नशे में धुत्त रहने वाले पदाधिकारियों और कर्मचारियों की सूची तैयार करने को कहा है.
इसके अलावा विभागों से अक्षम लोगों की पहचान करने को भी कहा गया है. विभागीय प्रमुखों से अनुशंसा प्राप्त होने के बाद कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. राज्य सरकार का मानना है कि ऐसे अफसरों के कारण राज्य की छवि पर भी खराब असर पड़ता है. लिहाजा इन्हें जबरन रिटायर करना एक मात्र विकल्प है.

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मुख्यमंत्री खुद कर रहे हैं निगरानी
निचले स्तर के कर्मचारी से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के कामकाज की निगरानी की जा रही है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने खुद विभागीय बैठकों के दौरान लापरवाही करने वालों को चिन्हित करने को कहा है. खराब काम करने वाले उपायुक्तों को भी जिलों से हटाने की योजना है.


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