झारखण्ड में कटते जंगलों की गाज झारखण्ड की शान और राजकीय पशु घोषित हाथियों पर गिरी है. हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि झारखण्ड में हाथियों की संख्या में कमी आई है.
पिछली गणना में जहाँ हाथियों की संख्या 688 थी, वो अब घटकर 555 रह गई है. राज्य में सबसे अधिक हाथी पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में पाए गए हैं. वहां कुल 186 जंगली हाथियों के रहने के प्रमाण मिले हैं. राज्य वन विभाग हाथियों की कम संख्या के पीछे अपने कारण गिनाने में जुटा है.
हाथियों की गिरती संख्या की कई वजहें: वन विभाग
हाल ही में जारी रिपोर्ट के लिए हाथियों की गणना मई के पहले हफ्ते में की गई थी. वन विभाग की माने तो हाथियों की संख्या कम होने के कई कारण हैं. इनमें नक्सलियों के खिलाफ चले अभियानों की वजह से हाथियों का पलायन कर पड़ोसी राज्यों की सीमा में चले जाना प्रमुख है.
विभाग के मुताबिक दलमा में हाथियों की गिनती जब हो रही थी वह समय विशु शिकार का था, जब आदिवासी जंगली जानवरों का शिकार करने जंगल में जाते है. संभव है उस समय हाथी वहां से पलायन कर गए हैं.
वन विभाग ने दूसरी वजह पश्चिम बंगाल द्वारा ट्रेंच खोदे जाने को बताया गया है. कहा जा रहा है कि इस कारण वहां से जो हाथी झारखंड में आते थे, वे नहीं आ पाए हैं. ऐसे में हाथियों की सही संख्या का पता सभी राज्यों के आंकड़े सामने आने के बाद चल पाएगा. क्यूंकि देश भर में इसी समय में हाथियों की गणना एक साथ की गई है.
हर पांच साल में होती है हाथियों की गणना
झारखंड में आठ से 10 मई तक हाथियों की गणना हुई थी. झारखंड के साथ-साथ ओडिशा, प. बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी हाथियों की गणना हुई है. दरअसल इस
तरह की कवायद पहली बार केंद्र सरकार की तरफ से की गई है. पूरे देश में पिछली गणना में करीब 30,700 हाथी पाए गए थे.