बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु कहा जाता है.लेकिन बावजूद इसके भारत में साल 2010 में बाघ विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए थे. दुनियाभर में 29 जुलाई के दिन विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है. बाघों को संरक्षण देने और उनकी प्रजाती को विलुप्त होने से बचाने के लिए विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है.
बता दें कि दुनियाभर के मात्र 13 देशों में ही बाघ पाए जाते हैं, वहीं इसके 70 प्रतिशत बाघ केवल भारत में हैं. साल 2010 में भारत में बाघों की संख्या 1 हजार 7 सौ के करीब पहुंच गई थी.
पलामू से गायब हुए बाघ
झारखंड का पलामू टाइगर रिजर्व एकमात्र ऐसा टाइगर रिजर्व है, जहां बाघों के होने का अनुमान है. झारखंड में कितने बाघ हैं, इसका सही अनुमान नही है. कुछ समय पहले तक बाघों की अच्छी खासी आबादी के लिए देश व दुनिया में गौरवान्वित महसूस करता रहा पलामू टाइगर रिज़र्व इन दिनों हाथी, हिरण, बंदर और तेंदुओं के लिए स्वर्ग बना हुआ है. यहां पर्यटक आते और मायूस भी हो जाते हैं.
पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 5 से ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है. इसका सही अनुमान लगाने के लिए हर 4 साल में एक बार टाइगर रिजर्व में बाघों की गिनती की जाती है परंतु बाघों की गिनती का अनुमान लगाने की कवायद भी सही तरीके से शुरू नहीं हो सकी है. आपको बताते चले कि पिछली बार 14 फरवरी 2019 को बाघ देखा गया था.
उसके बाद से टाइगर रिजर्व प्रबंधन को बाघों की तस्वीर और पंजों के निशान नहीं मिले हैं. वन के मुख्य संरक्षक कुमार आशुतोष की मानें तो हर संभव कोशिश की जा रही है कि यहां टाइगरों की किसी तरह वापसी हो सके. बाघों का सही अनुमान लगाने के लिए कैमरा ट्रैप लगाया जाना है , उसके बाद बाघों के स्कैट को वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया को भेजा जाएग. फिर मिलान और डीएनए जांच के बाद बाघों की संख्या पता चल पाएगी.
लगातार घट रही संख्या
यह गिनती जुलाई 2022 से पहले पूरी कर लेनी है. हर चार वर्ष में एक बार पूरे देश में बाघों की गिनती शुरू होती है, इससे पहले 2018 में बाघों की गिनती हुई थी. वहीं ट्रैकर की माने तो लॉकडाउन के अंतराल में पलामू टाइगर रिजर्व में हर एक प्रकार के जानवर की बढ़ोतरी हुई है पर अभी तक बाघ को नहीं देखा गया है. वहीं स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो इस पलामू टाइगर रिजर्व में बाघ होने की सूचना तो मिली है पर अभी तक उन्होंने भी नहीं देखा है.
1974 में थे 50 बाघ
1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था, तब वहां करीब 50 बाघ थे. 2005 में जब बाघों की गिनती हुई तो बाघों की संख्या घटकर 38 हो गई. 2007 में जब फिर से गिनती हुई तो बताया कि पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में 17 बाघ हैं. 2009 में वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती शुरू हुई तो बताया गया कि सिर्फ आठ बाघ बचे हैं. उसके बाद से कोई भी नया बाघ रिजर्व एरिया में नही मिला. 2018 में हुई जनगणना में पीटीआर के इलाके में बाघों की संख्या शून्य बताई गई.