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कड़ाके की ठंड में अस्पताल में बिस्तरों की कमी, जमीन पर लेटने को मजबूर हुए मरीज

मरीज भी अस्पताल के प्रबंधन से खासा परेशान हैं, मरीजों का कहना है कि ऐसी स्थिति में मरीज तो क्या उनकी देखभाल में लगे परिजन भी बीमार पड़ सकते है.

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अस्पताल की बदइंतजामी से मरीज परेशान
अस्पताल की बदइंतजामी से मरीज परेशान

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झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स एक बार फिर गलत वजहों की वजह से सुर्ख़ियों में है. इस बार कड़ाके की ठंड के बावजूद मरीजों का इलाज फर्श पर ही किया जा रहा है. मरीज बरामदों से लेकर गलियारों तक में अटे पड़े है, इनमें वायरल फीवर से लेकर गहरे संक्रमण के मरीज तक शामिल है. रिम्स अस्पताल को एम्स की तर्ज पर विकसित किए जाने की बात कही जाती है. लेकिन बेड की कमी के कारण यहां आए मरीजों को जमीन पर लेटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

मरीज भी अस्पताल के प्रबंधन से खासा परेशान हैं, मरीजों का कहना है कि ऐसी स्थिति में मरीज तो क्या उनकी देखभाल में लगे परिजन भी बीमार पड़ सकते है. यहां इलाज के लिए आए मरीज अखिलेश राम कहते है कि अस्पताल वालों का कहना है कि अभी खाली बेड नहीं है, जब खाली होगा तभी मिलेगा.

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पहले भी हुई है किरकिरी

लापरवाही पर रिम्स के सीईओ बी.एल. शेरवाल का कहना है कि अस्तपता के कुछ विभागों में हमेशा से ही बिस्तरों की कमी रही है, खासतौर पर न्यूरो और ऑर्थोपेडिक्स में यह समस्या लगातार बरकरार रहती है. गौरतलब है कि रिम्स का सालाना बजट करीब तीन हजार करोड़ का है, इसके बावजूद यहां मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर हमेशा सवाल खड़े होते रहे है. यही नहीं सरकारी दावों के उलट यहां से बदइंतजामी और मरीजों से दुर्व्यवहार की खबरें ही हमेशा से सुर्खियां पाती रहती है, हाल ही में एक मरीज जमीन पर भोजन परोसने की खबर आने बाद प्रबंधन की खासी किरकिरी हुई थी.

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