कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन और पिछले दिनों आए चक्रवाती तूफान यास ने किसानों की कमर तोड़ दी है. अच्छी उपज होने पर अच्छी कीमत की आस से तरबूज की खेती करने वाले झारखंड के किसान कोरोना और चक्रवात यास की दोहरी मार से जूझ रहे हैं. तैयार फसल खेतों में ही सड़ रही है लेकिन उसे किसान बाजार तक नहीं ले जा पा रहे.
प्रकृति और महामारी की मार से जूझ रहे ऐसे ही एक किसान के लिए सेना मददगार बनकर सामने आई है. बोकारो जिले की कंडेर पंचायत के किसान रंजन कुमार ने तरबूज की खेती की है. रंजन के खेत में तरबूज की बंपर फसल हुई है लेकिन लॉकडाउन और यास तूफान की वजह से वह अपना उत्पाद खेत से बाजार नहीं ले जा पा रहे थे. तरबूज खेत में ही सड़ रहे थे.
फसल अच्छी होने के बावजूद बिक्री न होने के कारण रंजन महतो मायूस थे. इसी बीच रामगढ़ में तैनात सेना की सिख रेजिमेंट के ब्रिगेडियर एम कुमार अधिकारियों के साथ उस इलाके में पहुंच गए. रंजन महतो ने सेना के अधिकारियों को तरबूज मुफ्त देने की पेशकश की. रंजन की मुफ्त देने की पेशकश के बाद ब्रिगेडियर एम कुमार ने पांच टन तरबूज बाजार मूल्य पर खरीद लिए.
सेना के अधिकारियों ने ग्रामीणों के बीच राहत सामग्री भी बांटी. सेना की ओर से उठाए गए इस कदम की हर कोई तारीफ कर रहा है. किसानों का कहना है कि इससे सरकार को भी सीख लेनी चाहिए. किसानों का कहना है कि सरकार सिर्फ फाइल बनवाती है और प्रक्रिया चलती है. जब तक यह प्रक्रिया चलती रहती है, तब तक तो नई फसल का समय आ जाता है.
(झूलन अग्रवाल के इनपुट के साथ)