उत्तर प्रदेश के निसंतान दंपति-सौरभ और प्रीति अग्रवाल को रांची में रहने वाले रिश्तेदारों से पता चला कि वो वहां ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की ओर से संचालित शिशु भवन से नवजात गोद ले सकते हैं. रांची के रिश्तेदारों को शिशु भवन से बच्चे बेचे जाने का पता घर पर काम करने वाली मेड मधु से मिला था. मधु रांची सदर अस्पताल में सुरक्षा गार्ड का काम भी करती थी.
मधु ने ही अग्रवाल दंपति को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की कर्मचारी अनीमा इंदवार से मिलाया था. अनीमा को शिशु भवन से अवैध रूप से बच्चे बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. अग्रवाल दंपति ने रांची आकर अनीमा से मुलाकात की तो अनीमा ने नवजात को बेचने के लिए 1.2 लाख रुपये कीमत बताई. नवजात को कुछ दिन पहले ही अविवाहित मां ने जन्म दिया था. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मधु को अग्रवाल दंपति और अनीमा के बीच हुई डील में 10,000 रुपये मिले.
मधु ने इंडिया टुडे को बताया, ‘उन्होंने मुझे बर्खास्त कर दिया. मैं गरीब हूं और मेरा इस सबसे कोई लेना देना नहीं है. मेरा परिचय अनीमा से था और मैंने अग्रवाल दंपति को उनसे मिलवाया. मैं उन्हें शिशु भवन इसलिए ले गई कि वो बच्चे को गोद ले सकें.’
बताया जा रहा है कि अग्रवाल दंपति को रांची में रिश्तेदारों के घर पर मई में नवजात सुपुर्द किया गया. इसके बाद वो वापस उत्तर प्रदेश चले गए. फिर उन्हें कुछ दिन बाद ही अनीमा का फोन आया कि नवजात को कागजी औपचारिकताओं के लिए दोबारा रांची लाना होगा.
अग्रवाल दंपति के मुताबिक रांची आने के बाद उन्होंने नवजात को अनीमा को सौंप दिया. इसके बाद अग्रवाल दंपति का अनीमा से संपर्क करना मुश्किल हो गया. खुद को ठगा महसूस करने के बाद अग्रवाल दंपति ने रांची में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद ही बच्चों को कथित तौर पर बेचे जाने का ये सारा गोरखधंधा सामने आया.
रांची पुलिस ने मधु से पूछताछ की है. सुरक्षा गार्ड होने की वजह से उसे पता रहता था कि सदर अस्पताल में किस गर्भवती महिला को मिशनरी ऑफ चैरिटी की नन लेकर आई हैं. घोटाला सामने आने के बाद मधु को रांची सदर अस्पताल से सुरक्षा गार्ड की नौकरी से हाथ धोना पड़ा.