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बिहारवासियों के नाम इमोशनल खत, लिखा- आपका लालू जेल से डरता नहीं है

लालू यादव ने जेल से बिहार की जनता के नाम लिखे खत में अपने राजनीतिक सफर के बारे में विस्तार से जिक्र किया है. लालू का कहना है कि वो हमेशा से दब-कुचले लोगों के हक बात करते आए हैं, जिस वजह से कुछ लोग उनके पीछे सालों से पड़े हैं और उन्हें तमाम मामलों में राजनीतिक साजिश के तरह फंसाया गया है.

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लालू प्रसाद यादव
लालू प्रसाद यादव

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राष्ट्रीय जनता दल (RJD) लालू प्रसाद यादव ने जेल से एक भावानात्मक खत लिखा है. लालू ने ये खत बिहार के लोगों के नाम लिखा है. उन्होंने इस खत में अपने राजनीतिक सफर के बारे में विस्तार से जिक्र किया है. लालू का कहना है कि वो हमेशा से दब-कुचले लोगों के हक की बात करते आए हैं, जिस वजह से कुछ लोग उनके पीछे सालों से पड़े हैं और उन्हें तमाम मामलों में राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है. चारा घोटाले भी उन्हीं में से एक मामला है.

लालू यादव की मानें से बचपन से ही उनका जीवन चुनौतीपूर्ण और संघर्ष से भरा रहा है. लालू खत में लिखते हैं, 'मुझे वो सारे क्षण याद आ रहे हैं जब देश में गांव, गरीब, पिछड़े, शोषित, वंचित और अल्पसंख्यकों की लड़ाई लड़ना कितना कठिन था. वो ताकतें जो सैकड़ों साल से इन्हें शोषित करती चली आ रही थी वो भी नहीं चाहते थे कि वंचित वर्गों के हिस्से का सूरज भी कभी जगमगाएगा. लेकिन पीड़ितों की पीड़ा और सामूहिक संघर्ष ने मुझे अद्भूत ताकत दी और इसी कारण से हमने सामंती सत्ता के हजारों साल के उत्पीड़न को शिकस्त दी. लेकिन इस सत्ता की जड़ें बहुत गहरी हैं और अभी अलग-अलग संस्थाओं पर काबिज हैं.'   

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लालू आगे लिखते हैं, 'मुझे बचपन की वो सामाजिक व्यवस्था याद आ रही है जहां 'बड़े लोगों' के सामने हम 'छोटे लोगों' का सर उठाकर चलना भी अपराध था, फिर बदलाव की वो बयार भी देखी जिसमें असंख्य नौजवान जे. पी. के आंदोलन से प्रभावित हो उसमें शामित हो गए. आपका अपना लालू भी उनमें से एक साथ जो कूद पड़ा था सत्ता के खिलाफ संघर्ष में, और निकल पड़ा तानाशाही, सामंतवाद और भ्रष्टाचार के विरूद्ध लौ जलाने के लिए. जो आज भी कायम है. तमाम बाधाओं और साजिश से वो डरने वाले नहीं हैं, क्योंकि जनता उनके साथ है.'

लालू का कहना है कि उन्हें जेल जाने से डर नहीं लगता है, क्योंकि जब वो छात्र जीवन के बाद राजनीति में आए तो आभाष हो गया था कि राजनीति की राह आसान नहीं है, जेल में डाला जाएगा. प्रताड़ित किया जाएगा, झूठे आरोप लगाए जाएंगे. जब वो उस वक्त नहीं डरे तो आज जेल से क्यों डरे.

खत के आखिर में लालू ने एक कविता लिखी है. लालू की मानें तो उन्हें लोकतंत्र की परवाह है, लालू के भाईचारे की परवाह है इसलिए बोलता है.

झूठ अगर शोर करेगा

तो लालू भी पुरजोर लड़ेगा

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मर्जी जितने षड़यंत्र रचो

लालू तो जीत की ओर बढ़ेगा

अब, इनकार करो चाहे अपनी रजा दो

साजिशों के अंबार लगा दो

जनता की लड़ाई लड़ते हुए,

आपका लालू तो बोलेगा चाहे जो सजा दो

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