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झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड के बादम गांव में एक गुलाब का पौधा 300 से ज्यादा सालों से अपनी खुशबू बिखेर रहा है. गुलाब के सैकड़ों साल पुराने इस पौधे के पीछे एक ताजमहल जैसी ही एक प्रेम कहानी है. बुजुर्गों का कहना है किरामगढ़ के राजा दलेल सिंह की बहू ने यह गुलाब का पौधा लगाया था. तब से लेकर आज तक इसमें फूल लगते आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि राजा दलेल सिंह के पुत्र पुरुषोत्तम सिंह अपनी पत्नी से बेहद प्रेम करते थे. फिर इस परिवार में कुछ ऐसा हुआ कि यह गुलाब का पौधा आज भी उनके प्यार की अमिट निशानी बन गया.
लगभग 1650 ईस्वी में रामगढ़ के राजा चतरा से अपनी राजधानी बादम ले आए थे .आज भी बादम का किला जीर्ण शीर्ण अवस्था में मौजूद है. इस किले के ठीक सामने एक चौकोर कुआं उस वक़्त बनाया गया था .इसी कुएं के पास राजा दलेल सिंह के बेटे पुरुषोत्तम सिंह की पत्नी ने अपने प्रेम की यादगारी में यह पौधा लगाया था. बताया जाता है इन दोनों में गहरा प्यार था. बता दें कि 1631 ईस्वी में ही मुगल शासक शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में ताजहमल बनवाना शुरू किया था.
शिकार पर गए राजकुमार की मौत की खबर आई
कहानियों और किवदंतियों अनुसार लगभग 1670 ईस्वी में एक बार जब राजकुमार पुरुषोत्तम जंगल में शिकार करने गए तो किसी ने यह अफवाह फैला दी कि शिकार के दौरान उनकी मौत हो गई है. जब यह बात उनकी पत्नी को पता चली वो काफी परेशान हो गई, उनकी दुनिया की पलट गई. कहा जाता है कि राजा के वियोग में रानी ने कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी.
पहले रानी ने फिर राजा ने कल ली खुदकुशी
शिकार से लौटने के बाद जब राजकुमार पुरुषोत्तम को यह पता चला कि उनकी मौत की अफवाह सुनते ही उनकी पत्नी ने खुदकुशी कर ली है तो उन्होंने भी उसी कुएं में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली. राजकुमार और रानी ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली. लेकिन राजकुमार पुरुषोत्तम की पत्नी द्वारा लगाया गया यह गुलाब का पौधा आज भी कुएं के पास मौजूद है. जो पिछले कई दशकों से अपनी महक बिखेर रहा है.
बेटे और बहू की मौत से आहत होकर राजा दलेल सिंह बादम से अपनी राजधानी हटा कर रामगढ़ ले आए और धीरे-धीरे यह इलाका वीरान होता चला गया. लेकिन यह गुलाब का पौधा वहां पनपता रहा जो आज प्रेम का प्रतीक बन गया है. इस पौधे की एक खासियत है आमतौर पर गुलाब की डाली को कलम करके कहीं भी लगाया जा सकता है. लेकिन इस पौधे को कई कोशिशों के बाद कहीं नहीं लगाया जा सका. गांव वालों का कहना है कि इस गुलाब के फूल की महक सबसे ज्यादा होती है. आज तक उन्होंने किसी दूसरे गुलाब में ऐसी महक नहीं देखी.
आमतौर पर 10 से 12 साल तक गुलाब का पौधा जिंदा रहता है
वनस्पति शास्त्र के प्रोफेसर प्रशांत कुमार मिश्रा बताते हैं कि आमतौर पर गुलाब के पौधे 10 से 12 साल तक जीवित रह सकते हैं. लेकिन 300 से अधिक वर्षों तक किसी एक गुलाब के पौधे का जीवित रहना नामुमकिन है. यह शोध का विषय है कि इतने दिनों तक आखिर किन कारणों से यह गुलाब का पौधा अब तक जीवित है. क्या यह उसी वक्त का गुलाब है या हर साल कोई नया पौधा यहां निकलता है यह एक शोध का विषय है.
(इनपुट- विस्मय अलंकार)