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SBI ने बिल्डर के खाते में डाल दिया मिड-डे मिल का 100 करोड़

बैंक ने दावा किया है कि भानु कंस्ट्रक्शन से अब तक करीब 70 करोड़ की वसूली की जा चुकी है. कंपनी से और 30 करोड़ की वसूली अब तक नहीं हो पाई है. बैंक ने मामले में दो अफसरों को निलंबित कर दिया है और बाकी पैसों की वापसी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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झारखंड में मध्याह्न भोजन की राशि के साथ बैंक की लापरवाही का एक मामला सामने आया है. दरअसल, सरकारी स्कूलों के बच्चों को दिए जाने वाले मध्याह्न भोजन की 100 करोड़ की राशि बैंक ने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के खाते में ट्रांसफर कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि जिस कंपनी के खाते में बैंक की गलती से पैसा गया है उसका नाम भानु कंस्ट्रक्शन है.

बैंक ने दावा किया है कि भानु कंस्ट्रक्शन से अब तक करीब 70 करोड़ की वसूली की जा चुकी है. कंपनी से और 30 करोड़ की वसूली अब तक नहीं हो पाई है. बैंक ने मामले में दो अफसरों को निलंबित कर दिया है और बाकी पैसों की वापसी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. आपको बता दें कि बैंक की यह भूल तब पकड़ी गई जब शिक्षा मंत्रालय ने बैंक से पैसा रिलीज करने को कहा. जिसके बाद बैंक ने स्वीकार किया कि इसे गलत खाते में जमा किया गया था.

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मामले में जांच के लिए बैंक ने लिखे सीबीआई को पत्र

रांची में एसबीआई के डीजीएम ने कहा कि इस प्रकरण में शामिल दो बैंक अफसरों अनिल उरांव और कमलजीत खन्ना को निलंबित किया गया है. प्राथमिक तौर पर इन दोनों अधिकारियों को दोषी पाया गया है. उन्होंने कहा कि बैंक अधिकारियों की गलती से पैसे बिल्डर के खाते में ट्रांसफर हो गए थे. बिल्डर से अब तक 70 करोड़ की वसूली की जा चुकी है.

यूं हुआ लेन-देन

100 करोड़ पांच अगस्त को भानु कंस्ट्रक्शन के खाते में ट्रांसफर किए गए थे. खुलासे के बाद 19 सितंबर को बैंक ने 47.6538 करोड़ और 22 सितंबर को 25 लाख भानु कंस्ट्रक्शन के खाते से वापस लेकर मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के खाते में डाले गए. 22 सितंबर को ही बैंक ने अपने सस्पेंस एकाउंट से 52.11 करोड़ रुपये प्राधिकरण के खाते में डाले.

ब्याज के 45 लाख का नुकसान

इस मामले में राज्य के शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने मध्याह्न भोजन योजना की राशि की पूरी रिपोर्ट मांगी है. 15 दिन के अंदर मामले की विभागीय जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है.

गौरतलब ये भी है कि मिड डे मील प्राधिकरण के खाते में जमा राशि पर बैंक चार प्रतिशत की दर से सूद का भुगतान करता है. 40 दिनों तक यह पैसा सरकार के खाते में नहीं रहने से उसे करीब 45 लाख रुपए सूद के रूप में नुकसान हुआ है.

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