झारखंड में सरकार बनाने का खेल जारी है. इस सिलसिले में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बीते मंगलवार को राज्यपाल के समक्ष कांग्रेस-जेएमएम की गठबंधन वाली साझा सरकार बनाने का अपना दावा पेश कर दिया.
हालंकि 81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी 41 सदस्यों से 2 अधिक की सूची राज्यपाल को दी गई है लेकिन असली सत्ता का खेल तो अब शुरू होगा, क्योंकि सरकार को समर्थन दे रहे कई ऐसे विधायक हैं जिन पर हत्या, अपहरण, हॉर्स-ट्रेडिंग और गबन जैसे संगीन मामले हैं.
इनमें से एक कांग्रेसी विधायक को तो निचली अदालत ने उम्र कैद की सजा भी सुना दी है और वे फिलहाल सलाखों के पीछे हैं जबकि जेएमएम के दो विधायक अभी पुलिस की नजर में फरार हैं.
अब जरा राज्य में बनने जा रही सरकार में शामिल विधायकों के चाल-चरित्र और चेहरे पर नजर डालते हैं. शुरुआत करते है जेएमएम विधायक दल के मुखिया और राज्य के भावी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर. ये जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के बेटे हैं. इनके ऊपर राज्य के आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए बने CNT एक्ट का उल्लंघन कर सैकड़ों एकड़ जमीन अर्जित करने मामला अभी न्यायालय में है. साथ ही आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का भी आरोप है.
गौरतलब है की 2009 में हुए आयकर विभाग के रेड के दौरान शिबू सोरेन के पीए के घर से बरामद हुए 65 करोड़ रुपये का कोई हिसाब सोरेन परिवार अब तक आयकर विभाग को नहीं दे पाया है. इस मामले में हाई कोर्ट ने 16 जुलाई को स्टेट्स रिपोर्ट तलब की है.
वहीं शिबू सोरेन की पुत्र-वधु और जामा से जेएमएम विधायिका सीता सोरेन पर राज्यसभा चुनाव के दौरान हुए हॉर्स-ट्रेडिंग मामले में आरोप पत्र तैयार हो चूका है. इसके साथ-साथ सीता सोरेन इसी मामले में सीबीआई गवाह के अपहरण मामले में भी आरोपी हैं और फिलहाल ये फरार हैं. राज्य में मंत्री पद के प्रबल दावेदार साइमन मरांडी 2010 में हुए हॉर्स-ट्रेडिंग मामले में आरोपों के घेरे में हैं.
तोरपा इलाके के जेएमएम विधायक पोलुस सुरीन पूर्व नक्सली रह चुके हैं और इन पर हत्या के आरोप हैं जबकि मंत्री पद के एक और दावेदार हेमलाल मुर्मू आय से अधिक संपत्ति मामले के आरोपी हैं. यही नहीं जेएमएम के एक और विधायक नलिन सोरेन राज्य में हुए करोड़ों के बीज घोटाले के आरोपी हैं और फिलहाल ये भी फरार हैं.
कांग्रेसी विधायक भी इस मामले में पीछे नहीं हैं. वर्तमान विधान-सभा में खिजरी इलाके का प्रतिनिधित्व करने वाले सावना लकड़ा पर हत्या का आरोप सिद्ध हो चूका है और वे उम्रकैद की सजा पाकर फिलहाल जेल में बंद हैं. जबकि विधायक राजेश मंडल पर हॉर्स ट्रेडिंग मामले में शामिल होने का आरोप है. इनके खिलाफ सीबीआई जांच जारी है.
वहीं पलामू के हैदरनगर से कांग्रेसी विधायक और मंत्री पद के दावेदार केएन त्रिपाठी पर हॉर्स ट्रेडिंग मामले में शामिल होने और धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं. जबकि 2012 के हॉर्स ट्रेडिंग मामले में भवनाथपुर के विधायक अनंत प्रताप देव, हजारीबाग के विधायक सौरभ नारायण सिंह और गांडेय के विधायक मंत्रिपद के दौड़ में शामिल सरफराज अहमद के घर सीबीआई ने दबिश देकर कागजात जब्त किये हैं. इनके विरुद्ध मामला अभी पेंडिंग है.
हाल ही में रांची के कांग्रेस भवन में दिनदहाड़े हुई गोलीबारी के मामले से चर्चा में आये नेता विपक्ष राजेंद्र सिंह के भी रिकॉर्ड पाक-साफ नहीं हैं. गोलीबारी मामले में ही इन पर कांग्रेस के ही धनबाद के विधायक मन्नान मल्लिक ने आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दायर किया है. राजेंद्र सिंह भी मंत्रिपद के प्रबल दावेदार हैं.
ठीक इसी तरह मंत्रिपद के एक और दावेदार और कांग्रेसी विधायक ददई दुबे अपनी दबंगई के लिए सुर्खियों में आते रहे हैं जबकि जमशेदपुर के कांग्रेसी विधायक बन्ना गुप्ता पर जबरन जमीन हथियाने और दंगा फैलाने के आरोप है. बन्ना भी मंत्री बनने की चाहत रखते हैं.
सरकार में शामिल आरजेडी के विधायक भी किसी से कम नहीं हैं. इनके 5 में से 4 विधायकों पर 2012 में हुए हॉर्स-ट्रेडिंग मामले में शामिल होने का आरोप है और ये सभी सीबीआई के रडार पर हैं. इनमें से एक बाहुबली विधायक संजय यादव के घर तो सीबीआई ने तीन बार रेड डाली है.
वहीं आरजेडी विधायक दल की नेत्री और कैबिनेट में अपनी दावेदारी सुरक्षित कर चुकी अन्नपूर्णा देवी पर भी हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप है. आरजेडी के विधायक संजय कुमार और जनार्दन पासवान से सीबीआई ने इसी मामले में पूछताछ की है.
अब जरा निर्दलीय विधायकों की चर्चा कर ली जाए, क्योंकि झारखंड में मची लूट और अव्यवस्था की गाथा इनके बिना अधूरी ही है. वर्तमान में भी ये सरकार बनाने में अहम रोल में हैं. निर्दलीय विधायक हरीनारायण राय और एनोस एक्का ने कोड़ा राज के दौरान बही लूट की गंगा में जमकर डुबकी लगाई और देखते ही देखते अरबों के मालिक बन बैठे. फिलहाल इन पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप है. इस सिलसिले में ये जेल की हवा भी खा चुके हैं.
दूसरी तरफ बाहुबली विधायक विदेश सिंह, बंधू तिर्की और चमरा लिंडा पर 2012 में हुए हॉर्स-ट्रेडिंग मामले में शामिल होने का आरोप है और सीबीआई इनके विरुद्ध पुख्ता सबूत होने के दावे भी कर रही है. निर्दलीय कोटे से बंधू तिर्की का नाम मंत्रिपद की संभावित सूचि में है. वैसे समर्थन देने वालों में जेल में बंद राज्य के पूर्व-मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा भी हैं.
ऐसे में हेमंत सोरेन की स्थाई और साफ-सुथरी छवि वाली सरकार के गठन के दावे हवा-हवाई ही नजर आते हैं क्योंकि अपनी मांगें मनवाने के लिए ये सभी खासकर निर्दलीय विधायक किसी भी हद तक जा सकते हैं और इन सभी निर्दलीय विधायकों ने इसकी तैयारी भी कर ली है. वहीं जांच एजेसियां भी इन पर चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में हैं. जाहिर है ऐसे में सरकार अगर चलती भी है तो क्या वो राज्य को स्थायीत्व दे पायेगी.