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झारखंडः आदिवासी परिवार ने किया था धर्मांतरण, अब नहीं मिली शव दफनाने की जगह

विवाद के बाद पुलिस के बीच बचाव के बाद शव को घर के आंगन में दफनाने का निर्णय परिवार वालों ने लिया. हालांकि परिवार के सदस्य आंगन में शव को दफनाने के पक्ष में नहीं थे लेकिन ऐसा करना पड़ा.

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हो समाज के लोगों ने शव दफनाने नहीं दिया (फोटो-आजतक)
हो समाज के लोगों ने शव दफनाने नहीं दिया (फोटो-आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 40 घंटे बाद घर के आंगन में ही दफनाना पड़ा शव
  • 'हो समाज' ने कब्रिस्तान में शव को दफनाने नहीं दिया
  • दुरुला गांव में 11 परिवारों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण

झारखंड के पश्चिम सिंहभूम (West Singhbhum) के टोंटो थाना क्षेत्र के दुरुला गांव में आदिवासी से धर्मांतरण कर ईसाई धर्म अपनाना एक परिवार को महंगा पड़ गया. धर्मांतरण कर ईसाई बने परिवार में एक शख्स की मौत के बाद आदिवासी समाज ने शव को आदिवासी 'हो समाज' के कब्रिस्तान ससन दीरी में दफनाने नहीं दिया. आखिरकार ईसाई धर्म अपनाने वाले परिवार को अपने घर के आंगन में ही शव को दफनाना पड़ा.

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घटना आज मंगलवार की है जब एक शख्स की मौत के बाद शव को दफनाने की जद्दोजहद में मामला इतना तूल पकड़ा कि आखिरकार पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा तब जाकर 40 घंटे के लंबे समय बाद शव को घर के आंगन में दफनाया जा सका.

दुरुला गांव में 'हो समुदाय' के लोगों ने अपने ससन दिरी, कब्रिस्तान में ईसाई परिवार को शव दफनाने से रोक दिया. 'हो समुदाय' का कहना था कि धर्मांतरण करने वाले परिवार के शव को वंशजानुसार ससन दिरी कब्रिस्तान में दफनाने नहीं दिया जाएगा. ग्रामीणों के विरोध के बाद ईसाई परिवार ने वंशजानुसार ससन दिरी में शव को नहीं दफनाया.

कब्रिस्तान में खुदाई होते ही विरोध शुरू

शव दफनाने के लिए ईसाई परिवार ने जैसे ही ससन दीरी में खुदाई शुरू ही की थी कि दूसरी तरफ विरोध शुरू हो गया. ग्रामीणों ने आदिवासी 'हो समाज' युवा महासभा के लोगों को जानकारी दी. इस विवाद को निपटाने के लिए गांव में बैठक करने पर सहमति बनी. बैठक में 'हो समुदाय' के ससन दिरी (कब्रिस्तान) स्थल में शव को नहीं दफनाने देने का फैसला लिया गया. फिर भी मामला शांत नहीं हुआ.

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पुलिस के बीच बचाव के बाद शव को घर के आंगन में दफनाने का निर्णय परिवार वालों ने लिया. परिवार के सदस्य आंगन में शव को दफनाने के पक्ष में नहीं थे. जानकारी के अनुसार पुलिस के दबाव में शव आंगन में दफनाया गया. मालूम रहे कि शनिवार को ही 25 साल के अमृत लाल बोयपाई की मृत्यु किसी बीमारी से हो गई थी.

अब तक 11 परिवारों का धर्मांतरण

इस दुरुला गांव में लगभग 11 परिवार का धर्मांतरण ईसाई धर्म में हो चुका है. धार्मिक मुद्दे को लेकर कई दौर की पंचायत भी बैठ चुकी है. इसमें कुछ धर्मांतरण परिवार का सामाजिक बहिष्कार भी किया गया है. जिसका मामला थाना तक जा पहुंचा और थाना प्रभारी ने दोनों पक्ष को समझा-बुझाकर गांव में शांति-व्यवस्था के साथ रहने की सलाह दी.

ग्रामीणों ने बाहर के लोगों द्वारा गांव में लोगों को भड़काने, प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने और पुलिस-प्रशासन का भय दिखाने को लेकर थाना प्रभारी से शिकायत की. थाना प्रभारी ने ग्रामीणों के गुस्से को शांत कराते हुए बाहर से आकर गांव वालों को न भड़काने और गांव की शांति-व्यवस्था को न बिगाड़ने के लिए धर्म प्रचारकों को कड़ी चेतावनी भी दी है, साथ ही साथ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

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(इनपुट-जय कुमार तांती)

 

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