झारखंड की कमान पहली बार गैर आदिवासी नेता के हाथ में है और राज्य की जनता ने एक गठबंधन को पहली बार बहुमत दिया है. इस सरकार से उम्मीदें अपार हैं, तो नौकरशाही की नकेल को कसना बड़ी चुनौती है. हाल ही में मुख्य सचिव तक को हटाने में जरा सी भी देर नहीं करने वाले मुख्यमंत्री रघुवर दास ने संदेश दे दिया है कि अब सिर्फ ड्यूटी नहीं बल्कि जवाबदेही तय होगी. उन्होंने दिल्ली में इंडिया टुडे के प्रमुख संवाददाता संतोष कुमार से विशेष बातचीत में राज्य के मसलों पर बेबाकी से अपनी राय रखी.
सवाल-अभी तक आपकी सरकार का अनुभव कैसा रहा और आगे आपकी क्या प्राथमिकताएं हैं ?
जवाब- तीस दिन की उपलब्धि यह है कि सरकार के प्रति जनता का जो विश्वास खत्म हो गया था, वह वापस लौटा है. अभी मैं बजट की प्रक्रिया में लगा हूं और मेरी प्राथमिकता
इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगार नौजवानों के हाथों में हुनर देना है. जिसके लिए हमने स्टेट स्किल डेवलपमेंट मिशन के दायरे को बढ़ाते हुए कॉर्पोरेट, विशेषज्ञों को जोड़ना
शुरू किया है. साथ ही पीएसयू को भी जोड़ रहे हैं. उन क्षेत्रों में जो इंडस्ट्री लगने जा रही है उसके मद्देनजर स्किल का विकास करना है. स्वरोजगार के माध्यम से अपनी जीविका भी चला
सके इसके लिए भी इस माध्यम से प्रयास होगा. इसके अलावा हम स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल बना रहे हैं जिसमें सरकार और हमारे सभी 14 लोकसभा सांसद शामिल होंगे. इसके साथ
विशेषज्ञ और कॉर्पोरेट सेक्टर भी होंगे. इस कमेटी की हर तीन महीने में अनिवार्य रूप से बैठक होगी जिसका मकसद राज्य के विकास के लिए एक पॉलिसी बनाना है और फिर सरकार उस
पर आगे बढ़े. उसी तरह 12 क्षेत्रों में ट्राइबल डेवलपमेंट काउंसिल भी बना रहे हैं. इसमें स्थानीय जन प्रतिनिधि, प्रशासन, ग्राम पंचायत आदि के अलावा ऐसे लोगों को इसमें जोड़ेंगे जिनकी
राजनीति में रुचि नहीं है, लेकिन विकास के काम से जुड़ना चाहते हैं. इन सबको मिलाकर ट्राइबल डेवलपमेंट मिशन बनाने का है जो गांवों में जाकर फिर ग्रामीण एक्शन प्लान
बनाए.
सवाल- नक्सलवाद राज्य में एक बड़ी समस्या है. बीजेपी की नीति कठोरता से निपटने की है. आपकी रणनीति क्या होगी?
जवाब- हमारी रणनीति दो तरह की होगी. एक तरफ हम विकास करेंगे तो दूसरी तरफ हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जैसे को तैसा की नीति अपनाने में हम कोई मुरव्वत नहीं
करेंगे. लेकिन हमें ध्यान देना होगा कि नक्सल समस्या क्यों पैदा हुई. झारखंड में हम छह महीने में नक्सलवाद खत्म कर देंगे. वहां कुछ क्षेत्र में ही माओवादी हैं और बाकी क्षेत्रों में
असामाजिक तत्व के लोग हैं. पीएलएफआई, टीपीसी जैसे संगठन हैं जो सिर्फ रंगदारी कर रहे हैं. जिसमें कहीं न कहीं हमारे भी शासन-प्रशासन के लोग उनसे मिले हुए हैं. ऐसे लोगों पर
नकेल कसेंगे. और जनाक्रोश के कारण ऐसे लोगों को बढ़ावा मिलता है. हमने तय किया है कि सिपाही की बहाली अब जिला नहीं, बल्कि प्रखंड स्तर पर करेंगे ताकि उस गांव-प्रखंड के लोग
उस नियुक्ति में आएं. बेरोजगारी दूर होगी तो यह समस्या भी खत्म हो जाएगी. जब कोलकत्ता, जहां से नक्सलवाद जन्म हुआ, वहां यह समस्या खत्म हो सकती है तो झारखंड में क्यों
नहीं?{mospagebreak}
सवाल- आप कह रहे हैं कि राज्य में सरकार के प्रति जनता का विश्वास लौटा है. ऐसी क्या चीजें हुई हैं जो विश्वास लौटा है ?
जवाब- पहला यह था कि राजनीतिक अस्थिरता की वजह से मजबूत इच्छाशक्ति वाला नेतृत्व नहीं था वह इस विधानसभा चुनाव में जनता ने दिया. मजबूत नेतृत्व नहीं होने की वजह से नौकरशाही की कोई जिम्मेदारी तय नहीं थी. वो सिर्फ ड्यूटी ही कर रहे थे. वैसे भी अधिकतर अधिकारी तो चाहते हैं कि कमजोर शासन रहे ताकि ज्यादा से ज्यादा शक्ति नौकरशाही के पास रहे. लेकिन अब वह खत्म हो रहा है और नौकरशाही को साफ कह दिया है कि हमें पारदर्शी और जवाबदेह शासन देना है. अब नौकरशाही की जिम्मेदारी तय करनी है. सरकार के पास छिपाने के लिए कोई चीज नहीं रहनी चाहिए और जनता को एक-एक चीज जानने का हक हो कि सरकार में आखिर क्या हो रहा है.
सवाल-झारखंड में अस्थिरता रही है. बीजेपी भी आजसू की बैसाखी पर सरकार में है. ऐसे में आप कैसे कह सकते हैं कि अस्थिरता का माहौल खत्म हो गया है?
जवाब- अस्थिरता का दौर खत्म हो चुका है. 14 साल की राजनीति को देखेंगे तो आप पाएंगे कि आजसू से हमारा चुनाव के बाद गठबंधन होता था, लेकिन पहली बार हमारा चुनाव से
पहले गठबंधन हुआ और हम मिलकर लड़े. जनता ने भी बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए को पूर्ण बहुमत दिया. इसलिए सरकार स्थिरता के साथ पूरे पांच साल चलेगी.
सवाल- आजसू के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी में काफी असंतोष था और आरोप लगा यह गठबंधन एक बड़े कॉर्पोरेट घराने के दबाव में हुआ.
जवाब- नहीं...नहीं... यह बात पूरी तरह गलत है. यह फैसला झारखंड की राजनीतिक परिस्थिति को ध्यान में रखकर किया गया. राज्य में काफी छोटे-छोटे दल हैं और पार्टी ने सब कुछ
का आकलन करने के बाद ही यह फैसला लिया. इसमें किसी की कोई भूमिका नहीं है. अगर भूमिका है तो सिर्फ बीजेपी के नेताओं की है.
सवाल- वाजपेयी जी के शासन में तीन राज्यों का गठन हुआ था, जिसमें झारखंड ही सबसे पिछड़ा रह गया इसकी क्या वजह रही है?
जवाब- राजनीतिक अस्थिरता और अव्यवस्था. इसके कारण झारखंड पर जो दाग लगा इसमें कांग्रेस की बहुत बड़ी भूमिका थी क्योंकि राज्य में जो भी सरकार चलती रही उसे अस्थिर
करने का काम कांग्रेस पार्टी करती रही. जो भी घोटाले हुए वह कांग्रेस समर्थित शासन में ही हुए. जब-जब कांग्रेस ने अस्थिरता पैदा कर सरकार बनाई उस शासन में ही भ्रष्टाचार हुआ और
झारखंड की बदनामी हुई. इस बात को झारखंड की जनता ने समझ लिया और कांग्रेस को दरकिनार कर दिया.
सवाल-बदली हुई परिस्थिति में झारखंड के विकास को तेजी से आगे लेकर जाए उसके लिए आपकी क्या रणनीति है?
जवाब-झारखंड में अपार संभावनाएं हैं. मैं अभी वायब्रेंट गुजरात में गया था तो प्रवासी भारतीय काफी आए थे. उसमें राज्यवार भी प्रवासी भारतीयों की बैठकें हुईं तो 70 प्रवासी भारतीय
मौजूद थे. उनमें से 17 प्रवासी भारतीयों ने निवेश की रुचि भी दिखाई. झारखंड के प्रति अब लोगों में ललक थी क्योंकि स्थिर सरकार है. अब बजट सत्र के बाद हम प्रवासी भारतीयों की
सीआइआइ के साथ बैठक कर चर्चा करेंगे. फिर 2016 में वायब्रेंट झारखंड का आयोजन करेंगे.
सवाल- झारखंड बनने के बाद पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बना. आदिवासी समाज में नाराज है?
जवाब- संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि गैर आदिवासी ही सीएम होगा. यह एक संवैधानिक पद है. उसमें जाति, पंथ, संप्रदाय का कोई विषय ही नहीं है. कुछ लोगों की यह मान्यता
और सोच थी, लेकिन कुछ लोगों की सोच से राज्य और देश नहीं चलता है, बहुमत से चलता है. आपने देखा होगा कि सरकार गठन के बाद कहीं इस तरह की बात नहीं आई. शिक्षा के
मामले में जो 14 सालों से नियुक्ति नहीं हो पा रही थी उसमें जनवरी के आखिर तक हमने 7000 प्राथमिक शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दे दिया है. एक हजार अल्पसंख्यक वर्ग के शिक्षकों की
नियुक्ति हम कर चुके हैं. कहीं कोई खुसफुसाहट या नाराजगी जैसी बात नहीं है.
सवाल-झारखंड चुनाव में मोदी लहर के बावजूद कसर रह गई और बीजेपी को अपने बूते जो बहुमत की सीटें मिलनी थी वह नहीं मिल पाई?
जवाब- झारखंड में हम लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी के नेतृत्व में चुनाव लड़े. मोदी जी का जो आह्वान था कि 'आप हमें बहुमत दें, हम आपको विकास देंगे' तो झारखंड की जनता
ने बहुमत दिया. अब हमारा फर्ज बनता है कि हमारे प्रधानमंत्री और बीजेपी ने जनता से जो वायदा किया था उसे हम सुशासन और विकास लाकर पूरा करें, यह हमारी जिम्मेदारी बनती
है.
सवाल- बिजली पर आंदोलन हुआ और यशवंत सिन्हा जेल गए, लेकिन पूरे चुनाव के दौरानृनजर नहीं आए. पार्टी में गुटबाजी साफ दिख रही
है.
जवाब- कोई गुटबाजी नहीं है. जहां तक यशवंत सिन्हा जी का सवाल है तो उन्होंने खुद इच्छा प्रकट की थी. पार्टी ने लोकसभा में उनके बेटे जयंत सिन्हा को टिकट दिया, वो जीते भी और
नरेंद्र भाई ने उन्हें अपनी सरकार में मंत्री भी बनाया. कहीं कोई गुटबाजी नहीं है.
सवाल- झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता रही, भ्रष्टाचार में काफी आगे रहा और ज्यादातर समय बीजेपी शासन में थी.
जवाब- बीजेपी की सरकारों के समय कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ. लेकिन विकास के मामले में सरकार में बैठकर हम जो करना चाहते थे वह पूरी तरह से नहीं कर पाए. हम कोई अच्छा काम
करना शुरू करते थे तब तक सरकार ही गिर जाती थी.
सवाल- पास भ्रष्टाचार पर नकेल कसने की क्या ठोस रणनीति है?
जवाब- भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए सरकार के साथ-साथ सबकी जिम्मेदारी है. इसे खत्म करने में हम राज्य की जनता से भी सहयोग की उम्मीद रखते हैं. लेकिन सबसे अहम है कि अगर
हम सिस्टम को ठीक कर लें तो हमें लगता है कि हम इस पर काफी कामयाबी पा सकते हैं. इसलिए हम सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) पर काफी फोकस कर रहे हैं. हर चीज आनलाइन हो
चाहे वह जमीन का विवाद हो या टैक्स देना हो या पीडीएस में राशन देना हो. इस मामले में हम भारत सरकार के जो आइटी सचिव हैं आर.एस. सरमा के लगातार संपर्क में हैं. वो हमारे
झारखंड कैडर के ही हैं.17 फरवरी को हमने उन्हें रांची बुलवाया है ताकि राजस्व, पीडीएस से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक करें. हम ई-गवर्नेंस को ज्यादा मजबूत करेंगे.
सवाल- धर्मांतरण एक मुद्दा रहा है. संघ परिवार भी इसके जवाब में घर वापसी करा रहा है आपकी नजर में यह सही है?
जवाब- कोई अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन करता है तो यह संवैधानिक हक है. लेकिन कोई लालच देकर, गरीबी का नाजायज फायदा उठाकर धर्म परिवर्तन कराता है तो यह संविधान का
अपमान है. अगर इस तरह का कोई मामला आता है तो सरकार निश्चित रूप से कार्रवाई करेगी.