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झारखंड: खुद को जिंदा साबित करने के लिए 3 साल से दफ्तरों के चक्कर काट रही महिला, सरकारी योजनाओं से भी वंचित

जामताड़ा के सरकारी बाबुओं ने एक महिला को जीते-जी मार डाला है. इस महिला का नाम चंद्रमा देवी है. भगवान ने इसे जिंदा रखा है, लेकिन सरकारी बाबूओं ने इसे मृत घोषित कर दिया. इस वजह से वह सरकारी योजनाओं से भी वंचित हो गई हैं.

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चंद्रमा देवी
चंद्रमा देवी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सरकारी बाबुओं का कमाल, जिंदा महिला को बना दिया मृत
  • जिंदा साबित करने के लिए दफ्तरों का चक्कर लगा रही महिला
  • जिंदा होने का सबूत नहीं होने से योजनाओं से हो गई है वंचित

यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है. आपको एक ऐसे महिला से रूबरू कराने जा रहे, जिसे जामताड़ा के सरकारी बाबू ने जीते-जी मार डाला है. इस महिला का नाम चंद्रमा देवी है. भगवान ने इसे जिंदा रखा है, लेकिन सरकारी बाबूओं ने इसे मृत घोषित कर दिया. 

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चंद्रमा देवी कर्माटांड़ प्रखंड के अलगचूआ पंचायत स्थित शीतलपुर गांव की रहने वाली हैं. दरअसल, हुआ यूं कि चंद्रमा देवी के पति की मौत हो गई थी. चंद्रमा देवी ने अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पंचायत सचिवालय में आवेदन दिया. काफी चक्कर लगाने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र तो बना लेकिन लोगों ने मृत्यु प्रमाण पत्र चंद्रमा देवी का बना दिया.

कोर्ट
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विधवा पेंशन का नहीं मिल रहा लाभ

अब यह परेशानी यह हो रही है कि इनके पति की मौत के बाद विधवा पेंशन का लाभ इसे नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा सरकार की जनकल्याणकारी योजना से वंचित हो गई है. कई बार इस से लेकर उन्होंने दफ्तरों के चक्कर लगा चुकी है लेकिन लोग इसे जिंदा मानने को तैयार ही नहीं. आखिरकार थक-हार के चंद्रमा देवी ने न्यायालय की शरण में पहुंची है. 

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इनके अधिवक्ता नंदन कुमार सिन्हा बताते हैं कि सरकारी बाबू के लापरवाही का खामियाजा चंद्रमा देवी 3 सालों से भुगत रही हैं. अब न्यायालय ही इनके पास एकमात्र सहारा बचा हुआ है. चंद्रमा देवी कहती हैं कि मैं जिंदा हूं, इसे साबित करने के लिए 3 सालों से प्रयास कर रही हूं लेकिन सरकारी दफ्तर के लोग मुझे जिंदा मानने को तैयार ही नहीं है.

 

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