झारखंड के कृषि मंत्री योगेन्द्र साव कानून को अपने ठेंगे पर रखते हैं. तभी तो हजारीबाग की एक अदालत से फरार घोषित किये जाने और इश्तेहार दिए जाने के बाबजूद वो खुलेआम पुलिस सुरक्षा में घूम रहे हैं. ऐसे में राजनीती में सुचिता और दागियों को मंत्री नहीं बनाये जाने की वकालत करने वाली कांग्रेस इस खुलासे के बाद बैकफूट पर है.
दरअसल, हजारीबाग में केरेडारी थाना के कांड संख्या 33/2012 में जिले की निचली अदालत ने बीते 20 मार्च को कृषि मंत्री योगेन्द्र साव के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था. हैरत की बात है कि इन्होंने फरार रहते हुए ही मंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण की.
हजारीबाग जिले के बडकागांव से कांग्रेस विधायक और झारखंड के कृषि मंत्री योगेन्द्र साव का विवादों से इनका चोली-दामन का रिश्ता है. हाल ही में ये अपने बयानों के कारण चर्चा में रहे हैं. कभी ये अपने आप को नक्सली बताते हुए धमकाते नजर आते हैं तो कभी मंत्री बनने के लिए किये गए तमाम हथकंडों की बेबाक बयानी कर विवाद मोल लेते हैं. लेकिन ये जितने भोले नजर आते हैं असल में हकीकत इसके उलट है. इनपर झारखंड के विभिन्न थानों में कई मामले दर्ज हैं. एक मामले में तो इनपर अदालत से गैरजमानती वारंट भी जारी है.
झारखंड कैबिनेट में बतौर कृषि मंत्री शामिल हुए योगेन्द्र साव ने सार्वजानिक तौर पर यह कहकर खलबली मचा दी थी कि मंत्री पद पाने के लिए उन्होंने दिल्ली दरबार में न केवल हाजिरी लगाई थी, बल्कि इसके लिए उन्हें तमाम तरह के हथकंडे अपनाने पड़े थे. उन्होंने यहां तक सोनिया गांधी से लेकर अहमद पटेल तक पैरवी भिड़ानी पड़ी थी.
झारखंड में दागी मंत्रियों, विधायकों की फेहरिस्त काफी लम्बी है. इनमें से एक तो अभी भी हत्या के आरोप में सलाखों के पीछे है. वहीं, कई पर चार्जशीट दाखिल करने का काम अंतिम चरण में है. मौजूदा झारखण्ड सरकार के शपथ ग्रहण के 43 दिनों बाद लम्बी जद्दोजहद के बाद कांग्रेसी कोटे से एक ऐसे विधायक को मंत्री पद के योग्य समझा गया जो असल में वारंटी है. ऐसे में यह मामला संगीन तो है ही साथ ही यह इस बात की तस्दीक करता है हेमंत सोरेन के राज में कानून अपना काम सही तरीके से नहीं कर सकता.