कोयला उद्योग से जुड़े ट्रेड यूनियन, CCL के CMD और कोयला मंत्री ने भी माना है कि कोयला की कोई कमी नहीं और न तो प्रोडक्शन कम हुआ है, ये कोल क्राइसिस नहीं बल्कि कोल लॉजिस्टिक क्राइसिस है. दरअसल डिस्पैच वक्त पर नहीं होने से मांग पूरी नहीं हो पा रही है और इंडोनेशिया समेत अलग अलग जगह से निर्यात होने वाली कोयला 4 गुना महंगी है. लिहाजा देश में निकलने वाले कोयले पर निर्भरता और उसकी मांग बढ़ी है. हालांकि रेलवे के तरफ से रांची रेल डिवीजन के सीनियर DCM, CPRO का कहना है कि प्रियॉरिटी बेसिस पर रैक को लगातार भेजा जा रहा है. देखें सत्यजीत कुमार की ये रिपोर्ट.