मध्य प्रदेश के इंदौर में निगमकर्मियों और जिला प्रशासन ने सड़कों पर पड़े वृद्धजनों और भिखारियों को उठाना शुरू किया. इस योजना के जरिए उनके पुनर्वास पर काम शुरू किया गया. इस बीच भिखारियों के मामले बेहद चौंकाने वाले आए. इसी कड़ी में रमेश नामक भिखारी करोड़पति निकला. रमेश दो साल से भीख मांग रहा है. रमेश की कहानी चौंकाने वाली निकली. (Photo of Beggar Ramesh)
दरअसल, देश के 10 शहरों को भिखारी मुक्त किए जाने वाले शहरों में इंदौर भी शामिल है. दीनबंधु पुनर्वास योजना के तहत इंदौर में 24 फरवरी से भिक्षुकों और बेसहारा लोगों के लिए एक धर्मशाला में शिविर का आयोजन किया गया है. शिविर में अब तक 109 लोगों को लाया जा चुका है जिनमें से 36 लोगों का इलाज अस्पताल में किया जा रहा है. इन्हीं में से एक हैं रमेश यादव.
रमेश यादव को इंदौर वायर चौराहा स्थित कालका माता मंदिर के पास से लाया गया. ये दो साल से वहां पर रहकर भीख मांग रहे थे. इन्होंने शादी नहीं की है, इसलिए इनका खुद का परिवार नहीं है, लेकिन भाई-भतीजे जरूर हैं. टीम जब इनके घर पर पहुंची और उनके कमरे का इंटीरियर देखा तो यहां पर करीब चार लाख रुपए का सामान लगा मिला. इसमें एसी सहित सभी सुविधा की वस्तुएं मौजूद हैं. इनकी एक आदत ने सड़क पर भीख मांगने को मजबूर कर दिया.
रमेश यादव की शराब की लत ने यहां पहुंचा दिया. रमेश के नाम पर एक बंगला है, एक प्लॉट भी है. संपत्ति की बात करें तो वे वैसे तो करोड़पति हैं, लेकिन सीधी आय नहीं होने से वे मंदिर में बैठकर भीख मांगने लगे और उससे मिले रुपयों से नशा करते थे. जब यादव की काउंसिलिंग की तो उन्होंने शराब नहीं पीने की बात कही है.
रमेश ने कहा कि अब घर पर रहकर काम करेंगे. परिवार के लोग इसलिए खफा थे कि इनके शराब पीने से उनकी बदनामी होती है. वे कहते हैं कि इनकी शराब आप छुड़वा दीजिए हम, इनका हम पूरा ध्यान रखेंगे. अब रमेश में काफी सुधार हो रहा है. शुरुआत में वालंटियर से भी वे शराब मांगते थे.
रेस्क्यू किए गए 90 फीसदी लोग नशे के आदी हैं. फिर चाहे वह पाउडर का नशा हो, शराब का नशा हो, किसी ना किसी तरह का नशा वे करते ही रहते थे. शुरुआत के दो दिनों तक तो बेचैन थे. इनमें से कुछ ऐसे हैं जो नशे के बिना रह रहीं पा रहे हैं, इसलिए उन्हें नशा मुक्ति केंद्र छोड़ने की तैयारी हो रही है.
बता दें कि शिविर में बेसहारा वृद्धजनों को काफी सुविधा मिल रही है. शिविर में लजीज भोजन, गर्मी से बचाव के लिए कूलर पंखों की व्यवस्था सहित सभी वृद्धजनों की काउंसलिंग की जा रही है और कुछ समय बाद इनमें से जिन लोगों के परिजन इन्हें अपनाएंगे उन्हें उनके साथ कुछ शर्तों के साथ भेज दिया जाएगा.
नगर निगम के अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर ने बताया कि प्रयास किया जा रहा है कि जिन भिक्षुकों के परिवार हैं उन्हें परिवार में पहुंचाया जाए और जो निराश्रित हैं उन्हें विभिन्न आश्रमों में रखा जाएगा. जो लोग कुछ काम कर सकते हैं उन्हें एनजीओ की मदद से किसी काम में लगाया जाएगा. लगभग सभी भिक्षुक और निराश्रित लोग यहां काफी खुश नजर आए.
बता दें कि हाल ही में इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों ने बेसहारा बुजुर्गों को शहर के बाहर फेंक दिया था. उसके बाद इस घटना की जमकर आलोचना हुई थी नेताओं ने भी इसपर सवाल उठाए थे और कई ट्वीट्स किए थे.