कल-कलकर बहती नर्मदा नदी की अविरल धारा के बीच बैठी सकू बाई सोच रही है कि उसे इसी नर्मदा ने खुशहाल जीवन जीने का मौका दिया, मगर विकास का नारा देकर कुचक्र चलाने वालों ने इसी नर्मदा के जरिए उसके जीवन को संकट में डाल दिया है. सकू बाई ने अपना हक न मिलने पर जीवनदायिनी नर्मदा में जान देने की ठान ली है.
खंडवा जिले में जल सत्याग्रह पर बैठी सकू बाई अकेली ऐसी महिला नहीं है, जिसने हक के लिए जान देने की ठानी हो. खंडवा के साथ हरदा में कई लोग नर्मदा नदी में बैठकर जल सत्याग्रह कर रहे हैं. इनका विरोध ओंकारेश्वर व इंदिरा सागर बांध में जलस्तर बढ़ाए जाने से उनके गांव पर डूब के मंडरा रहे खतरे को लेकर है.
खंडवा जिले में नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध में इस बार पिछले वर्ष की तुलना में अधिक पानी भरा जा रहा है. इस बांध का जलस्तर पहले 189 मीटर था, जिसे बढ़ाकर 190.5 मीटर तक पानी भरा जा चुका है. इससे घोघाल गांव सहित 30 गांवों के डूबने का खतरा बना हुआ है.
नर्मदा बचाओ आंदोलन के आलोक अग्रवाल ने बताया कि खंडवा के घोघाल गांव सहित आसपास के कई गांव ओंकारेश्वर बांध में ज्यादा पानी भरे जाने से डूबने लगे हैं. सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्देश है कि बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने से पहले प्रभावितों के पुर्नवास व भूमि के बदले भूमि देने की व्यवस्था की जाए, मगर न तो मध्य प्रदेश सरकार और न ही नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण इस पर अमल कर रहा है.
घोघल गांव के प्रभावित किसान नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुवाई में जल सत्याग्रह कर रहे हैं. यहां जल सत्याग्रह 13 दिन से चल रहा है. सकू बाई भी इस सत्याग्रह में शामिल है. वह कहती हैं कि इस नदी ने उनके जीवन को खुशहाल बनाया है और अब विकास का हवाला देकर उनके जीवन को संकट में डाल दिया है.
सकू बाई कहती हैं कि जब तक उन्हें जमीन के बदले जमीन नहीं मिल जाती और सरकार उनके पुनर्वास का इंतजाम नहीं करती, तब तक वह सत्याग्रह जारी रखेंगी. वह हक न मिलने पर जान दे देंगी, मगर पीछे नहीं हटेंगी.
खंडवा के जिलाधिकारी नीरज दुबे ने बताया कि जल सत्याग्रह करने वालों से वे लगातार चर्चा कर रहे हैं और उनकी मांगों पर आवश्यक कदम भी उठाए जा रहे हैं.
ओंकारेश्वर बांध की ही तरह हरदा में इंदिरा सागर बांध का जलस्तर बढ़ाने से खरदना सहित 19 गांव पूर डूब का खतरा बढ़ गया है. प्रभावित परिवारों ने अपने हक के लिए जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है. इस सत्याग्रह के आठ दिन हो चुके हैं और वह एक ही बात कह रहे हैं कि जब तक उन्हें हक नहीं मिल जाता, तब तक वे पानी में डटे रहेंगे.
जल सत्याग्रह को राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी गंभीरता से लिया है. साथ ही निर्देश दिए हैं कि ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर न बढ़ाया जाए और ऐसे इंतजाम किए जाएं कि किसी आंदोलनकारी की मौत न हो.