मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पेंच बांध परियोजना का विरोध करने पर गिरफ्तार कर जेल भेजी गई सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के दूसरे दिन भी अनशन पर रहने के कारण उनकी तबीयत बिगड़ने लगी है.
मेधा ने गलत तरीके से गिरफ्तारी किए जाने का आरोप लगाते हुए तत्काल रिहाई की मांग की है. तमाम नियम कायदों को ताक पर रखकर चौरई विकासखंड के माचागोरा में प्रस्तावित पेंच बांध परियोजना का निर्माण काम शुरू किए जाने के विरोध में छिंदवाडा पहुंची सामाजिक कार्यकर्ता पाटकर को रविवार को नजरबंद कर लिया गया था, उसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जिला जेल भेज दिया गया.
प्रशासन की कार्रवाई से नाराज पाटकर ने सोमवार से अन्न-जल त्याग दिया है. मंगलवार को भी उनका अनशन जारी है.
मेधा के अधिवक्ता डी. के. प्रजापति ने बताया है कि दो दिनों से अन्न-जल न लिए जाने कारण मेधा के स्वास्थ्य में गिरावट आई है. मंगलवार को चिकित्सकों ने उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया, जिसमें रक्तचाप बढ़ा हुआ पाया गया. चिकित्सकों का कहना है कि मेधा को अन्न जल ले लेना चाहिए.
ज्ञात हो कि ग्रामीणों के विरोध के चलते चौरई विकासखंड के माचागोरा में प्रस्तावित पेंच परियोजना का काम शुरू नहीं हो पा रहा था. इतना ही नही सरकार को वन एवं पर्यावरण की पूर्व में मिली अनुमति की अवधि भी खत्म हो चुकी है. इसके बावजूद भारी पुलिस बल की मौजूदगी में प्रशासन ने रविवार को कार्य शुरू कर दिया था.
इसका विरोध करने वालों के खिलाफ प्रशासन का रवैया सख्त है. पहले अनुराधा भार्गव को गिरफ्तार किया गया. उसके बाद पाटकर सहित 21 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.
प्रभावित परिवार सरकार से लगातार मुआवजे व पुर्नवास की मांग करते आ रहे है, मगर उनकी यह मांग पूरी नहीं हो पाई है. इस बांध के बनने से चौरई थाना क्षेत्र के लगभग 31 गांव प्रभावित हो रहे हैं. बांध निर्माण का विरोध इस कदर है कि प्रशासन को पुलिस बल की मदद लेना पड़ी है. अभी आलम यह है कि प्रभावित 31 गांव में 1400 से ज्यादा जवानों की तैनाती है.