दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली सफलता से कार्यकर्ता न केवल उत्साहित हैं, बल्कि उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए होमवर्क भी तेज कर दिया है. मध्य प्रदेश में पार्टी ने अपने संगठन को मजबूत करने के लिए सदस्यता अभियान में तेजी लाई है.
राजधानी भोपाल से लेकर हर छोटे-बड़े शहर में AAP का सदस्यता अभियान चल रहा है. कहीं भी जाइए, आपको सड़कों पर AAP के सदस्यता काउंटर नजर आ जाएंगे. इन काउंटरों पर मौजूद AAP के नेता युवाओं को सदस्य बनाने की हर संभव कोशिश में जुटे हुए हैं.
AAP की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य शरद कुमरे का कहना है कि राज्य में कांग्रेस व बीजेपी के अलावा आम लोगों के पास कोई तीसरा विकल्प नहीं है. यही कारण है कि दोनों दल मिलकर राज्य को लूटने में लगे हुए हैं. AAP राज्य के मतदाताओं को तीसरा विकल्प देने के साथ दोनों प्रमुख दलों का वास्तविक चेहरा बेनकाब करना चाहती है.
कुमरे कहते हैं कि राज्य में सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है. लोगों को इससे जोड़ने की कोशिश हो रही है. इतना ही नहीं, उनमें भरोसा पैदा किया जा रहा है कि AAP ही ऐसा दल है, जो राज्य की जनता को राजनीतिक दलों की लूट से मुक्ति दिला सकती है. इसके अलावा उन्हें जागरूक किया जा रहा है.
दिल्ली में मिली सफलता के बाद पार्टी के कार्यकर्ता उत्साहित हैं और वे राज्य में नए राजनीतिक दल के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का मौका भी तलाश रहे हैं. एक तरफ जहां सदस्यता अभियान चल रहा है, वहीं दूसरी ओर AAP के प्रदेश संयोजक अभय वर्मा ने व्यावसायिक परीक्षा मंडल के घोटालों की जांच की मांग को लेकर अनशन शुरू कर दिया है.
राजनीति के जानकार AAP की इस सक्रियता को आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी से जोड़कर देख रहे हैं. कुमरे भी इससे इनकार नहीं करते. वे दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के खिलाफ विचार रखने वाले या नाराज मतदाताओं को अपने से जोड़कर AAP की राजनीतिक हैसियत बढ़ाने की जुगत में हैं.
AAP ने राज्य में अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी है. अब देखना है कि दिल्ली की तरह क्या मध्य प्रदेश में भी इस पार्टी को मतदाताओं का साथ मिल पाता है या मतदाताओं का लुभाने की कोशिश सिर्फ दिल्ली तक ही सिमटकर रह जाती है.