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Love Jihad: उलेमा बोर्ड ने MP के सभी काजियों से कहा- लव जिहाद गैरकानूनी, दी ये हिदायत

यूपी की तर्ज पर मध्य प्रदेश में लव जिहाद पर कानून बनने के बावजूद धर्मांतरण के मामले अब भी सामने आ रहे हैं. अब ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने लव जिहाद रोकने के लिए काजियों को चिट्ठी लिखकर हिदायत भी दी है.

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लव जिहाद (सांकेतिक तस्वीर)
लव जिहाद (सांकेतिक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'माता-पिता की सहमति, मौजूदगी के बिना न कराएं निकाह'
  • ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के फैसले का कांग्रेस विधायक ने किया विरोध

अब ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने लव जिहाद को लेकर सख्त रुख अपनाया है. बोर्ड ने साफ ऐलान कर दिया है कि लव जिहाद किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बोर्ड ने मध्य प्रदेश में काजियों को चिट्ठी लिखकर सख्त हिदायत दी है कि माता-पिता की सहमति और मौजूदगी के बिना गैर समाज की लड़कियों से निकाह ना कराएं. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने उलेमा बोर्ड के इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि बोर्ड ने सरकार से प्रेरित होकर यह फैसला लिया है.

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लव जिहाद मामलों की हो रही जांच
उलेमा बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी का कहना है कि उन्हें कुछ शिकायतें मिलीं हैं कि दो अलग-अलग मजहब के लोगों का चोरी छिपे निकाह करा दिया जाता है. जिस पर बाद में विवाद होता है और साम्प्रदायिक मुद्दा बनता है. इस्लाम इस बात की इजाजत नहीं देता कि सिर्फ शादी के लिए मजहब बदल लें. ऐसे मामलों की जांच की जा रही है. 

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने की सराहना 
शिवराज सरकार ने उलेमा बोर्ड की इस पहल की सराहना की है. प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ऐसी पहल से समाज में सकारात्मक संदेश जाता है.

कांग्रेस विधायक ने खड़े किए सवाल
भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने उलेमा बोर्ड के काजियों को निकाह को लेकर भेजे फरमान पर सवाल खड़े किए हैं. आरिफ मसूद का कहना है कि उलेमा बोर्ड को सोचना चाहिए कि हमारा संविधान सबको आजादी देता है. योगीजी भी कह चुके हैं कि देश संविधान से चलेगा. हम भी इसके पक्षधर हैं. उलेमा बोर्ड ने सरकार से प्रेरित होकर ऐसा कहा है. मुझे ऐसा लगता है इस वक्त ऐसा कहने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि पहले से ही काजी निकाह से तमाम एहतियात बरतते हैं.

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10 साल की सजा का है प्रावधान
पिछले साल मध्य प्रदेश सरकार ने  धोखाधड़ी कर धर्मांतरण को रोकने के लिए धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम पेश किया था. इसके तहत 10 साल की कैद और भारी जुर्माना का प्रावधान किया गया है. जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले धार्मिक नेताओं पर भी मुकदमा चल सकता है

 

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