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आसाराम पर दिग्विजय की मेहरबानी बनी परेशानी

दुराचार के मामले में सलाखों में कैद आसाराम की मुसीबतें है कि बढ़ती ही जा रही है. लेकिन इस बार आसाराम के साथ मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी लपेटे में आ गए है.

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आसाराम
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दुराचार के मामले में सलाखों में कैद आसाराम की मुसीबतें है कि बढ़ती ही जा रही है. लेकिन इस बार आसाराम के साथ मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी लपेटे में आ गए है.

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इंदौर जिला कोर्ट में पेश हुए परिवाद में आसाराम के साथ दिग्विजय सिंह , नारायण साईं , तत्कालीन कलेक्टर गोपाल रेड्डी और आश्रम का तात्कालिक मैनेजर को यह कहते हुए जांच करने की मांग की गई है कि दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए आसाराम बापू को बतौर गुरु दक्षिणा पांच करोड़ रुपये की जमीन नियमों को ताक में रखकर महज एक रुपये सालाना लीज पर आसाराम बापू को भेंट कर दी. इस जमीन पर आज न सिर्फ आलीशान आश्रम है बल्कि अतिक्रमण भी किया गया है. वर्तमान में इस जमीन की कीमत एक अरब रुपये से अधिक है.

इंदौर जिला कोर्ट के चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश डी एन मिश्र की कोर्ट में परिवाद पेश हुआ है विडम्बना देखिये कि परिवाद पेश करने वाले शख्स का नाम भी दिग्विजय है जिसकी और से हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवाक्ता मनोहर दलाल ने परिवाद पेश किया है जिसमे लोकायुक्त या इओडब्ल्यू से अनुसन्धान की FIR दर्ज करने के लिए आदेश देने की मांग की गई है. जांच कर प्रतिवेदन देने का जिसकी अगली तारीख सोलह सितम्बर नियत की है.

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हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोहर दलाल के मुताबिक दिग्विजय सिंह, जो आसाराम के शिष्य रहे हैं, ने मुख्यमंत्री रहते हुए आसाराम को पांच करोड़ रुपये का अवैध लाभ तथा सरकार को हानि पहुंचाया है. जो एक अपराध है. साथ ही दिग्गी जब मुख्यमंत्री थे, तभी आसाराम के आश्रम में अवैध कंस्ट्रक्शन, स्वीमिंग पूल और दुकानें बनी, जिसका नोटिस तक नहीं दिया गया.

मनोहर दलाल ने आगे बताया कि कलेक्टर की यह ड्यूटी थी की अगर कुछ गलत हो रहा है तो कार्रवाई करे, मगर ऐसा नहीं हुआ. हमने कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया है कि भष्ट्राचार अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश में इओडब्ल्यू और लोकायुक्त जैसी एजेंसियों को एफआईआर दर्ज कर अनुसन्धान प्रतिवेदन देने के आदेश दिए जाए.

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