मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए चंद महीने बचे हैं. चुनाव का समय करीब देख ब्यौहारी विधानसभा में सियासी दलों की सक्रियता बढ़ गई है, लेकिन स्थानीय लोगों में पिछले चुनावों में राजनीतिक दलों की ओर से किए गए वादों के अधूरा रह जाने को लेकर नाराजगी है. सबसे ज्यादा नाराजगी पीने का साफ पानी मुहैया नहीं होने से है. साफ है कि विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों को पानी के मुद्दों को लेकर सवालों का सामना करना पड़ेगा.
बहरहाल, शहडोल जिले के सीधी लोकसभा संसदीय क्षेत्र में आने वाली ब्यौहारी विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक रामपाल सिंह फिर से ताल ठोकने की तैयारी में हैं. आदिवासी बहुल वनांचल क्षेत्र ब्यौहारी विधानसभा सीट परिसीमन के बाद अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है. एक नगर पंचायत और 149 ग्राम पंचायत इसमें शामिल है. संजय टाइगर रिजर्व बफर जोन के लिए प्रसिद्ध ब्यौहारी में कुल 2 लाख 84 हजार मतदाता हैं. इनमें आदिवासी मतदाता 56 फीसदी हैं, जबकि ब्राह्मण मतदाता 28 फीसदी हैं.
कांग्रेस की परंपरागत सीट ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र से 2008 में भाजपा के टिकट पर बली सिंह मरावी चुनाव जीते, मगर कांग्रेस ने 2013 में दोबारा इस सीट पर कब्जा कर लिया. भाजपा के राम प्रसाद सिंह परस्ते को हराने वाले कांग्रेस के रामपाल सिंह विधायक चुने गए. अब जब आगामी विधानसभा चुनाव में कुछ महीनों का वक्त शेष बचा है तो ऐसे में दोनों सियासी दलों के नेता टिकट पाने के लिए सक्रिय हो गए हैं.
भाजपा में संभावित उम्मीदवारों में पूर्व विधायक बली सिंह मरावी का नाम सबसे आगे है. वहीं राम प्रसाद सिंह पर भी भगवा पार्टी अपना दांव लगा सकती है. जबकि कांग्रेस में वर्तमान विधायक रामपाल सिंह टिकट के सबसे मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं. हालांकि पिछले चुनाव में किए गए वादों का पूरा नहीं होना मौजूदा विधायक के खिलाफ जा सकता है. ऐसे में उनके लिए मिशन 2018 किसी बड़े इम्तिहान से कम नहीं होगा.
पानी का संकट
ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले आदिवासी आज भी बुनियादी सुविधाओं से दूर हैं. जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर इस वनांचल इलाके में सरकारी योजनाएं नहीं पहुंच पाती हैं. ब्यौहारी में पेय जल संकट बड़ा मुद्दा है. नदी के सूख जाने से लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. बाण सागर परियोजना होने के बावजूद लोगों को पानी मयस्सर नहीं.
देश के दूसरों हिस्सों की तरह ब्यौहारी में भी बेरोजगारी बड़ी समस्या है. युवा पलायन को मजबूर हैं. वहीं ब्यौहारी को जिला बनाने की मांग भी समय-समय पर उठती रही है. संजय टाइगर रिजर्व जोन से 101 गांवों को विस्थापित किया जाना था जिनमें अब तक 17 गांव विस्थापित हो चुके हैं. पिछले वर्ष यहां रहने वाले आदिवासियों के घर गिरा दिए गए थे. मगर उचित मुआवजा नहीं मिलने से उनमें असंतोष व्याप्त है.