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पिता की मौत के बाद मां का कर्ज उतारने के लिए बंधुआ बनी 'बालिका'

बालिका ने रेस्क्यू टीम को बताया कि 15000 के कर्ज को उतारने के लिए इंदर सिंह उसे भोपाल से शिवपुरी अपने घर पर घरेलू काम करवाने के लिए ले आया और उसके बाद उससे जबरदस्ती काम लेने लगा.

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कर्ज के बदले मजदूरी (फोटो- आजतक)
कर्ज के बदले मजदूरी (फोटो- आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मां का कर्ज उतारने के लिए करती थी मजदूरी
  • मां से भी फोन पर नहीं करने देते थे बात
  • बंधुआ मुक्ति मोर्चा की अपील पर हुआ रेस्क्यू

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में जब भोपाल की रहने वाली बालिका (बदला हुआ नाम) उज्जू एवं इसकी मां आर्थिक रूप से परेशान हुई तो इंदर सिंह गुर्जर ने उज्जु की मां को 15000 रुपये उधार देकर उज्जू को अपने जाल में फंसाने का षड्यंत्र रचा. आखिर यह षड्यंत्र तब सफल हुआ जब इंदर सिंह गुर्जर ने कर्ज को उतारने के लिए मासूम बालिका उज्जू को अपने घर गांव आकुर्सी, जिला शिवपुरी में बंधुआ बना लिया.

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इस बारे में जानकारी मिलते ही बंधुआ मुक्ति मोर्चा गुना के जिला संयोजक नरेंद्र भदौरिया ने 23 मई को शिवपुरी जिला अधिकारी को शिकायत पत्र भेजकर तत्काल रिहा करने की गुहार लगाई. जिलाधिकारी शिवपुरी ने 24 मई 2021 को उपखंड अधिकारी पोहरी को आदेश जारी कर बालिका को बंधुआ मजदूरी से मुक्ति दिलाने के निर्देश जारी किए थे. इसके बाद 24 मई को उपखंड अधिकारी के नेतृत्व में गठित रेस्क्यू टीम एवं बंधुआ मुक्ति मोर्चा की टीम ने पोहरी ब्लॉक की गलियां गलियां छान मारी किंतु बालिका का पता नहीं चला.

अंत में 25 मई को बालिका को प्रशासन की गठित टीम एवं बंधुआ मुक्ति मोर्चा की टीम ने इंदर सिंह गुर्जर पुत्र मोहन सिंह गुर्जर गांव आकुर्सी जिला शिवपुरी में उसके खेत पर बने मकान से मुक्त करवा लिया. 

मुक्ति के वक्त बालिका ने रेस्क्यू टीम को बताया कि 15000 के कर्ज को उतारने के लिए इंदर सिंह उसे भोपाल से शिवपुरी अपने घर पर घरेलू काम करवाने के लिए ले आया और उसके बाद उससे जबरदस्ती काम लेने लगा. बालिका ने रेस्क्यू टीम को यह भी बताया कि उसके साथ दैहिक शोषण एवं आर्थिक शोषण किया जा रहा है. काम के बदले उसे किसी प्रकार का कोई भी दाम नहीं मिल रहा है.

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इंदर सिंह गुर्जर एवं उसके परिवार के साथी उसे अपनी मां से भी फोन पर बात नहीं करने देते थे. बालिका ने बताया कि उसने कई बार इंदर सिंह गुर्जर एवं उसके परिजनों से गुजारिश की कि उसे छोड़ दिया जाए किंतु बालिका को किसी की ओर से कोई राहत नहीं मिली. 

बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी निर्मल गोराना ने बताया कि बालिका को तत्काल मुक्ति प्रमाण पत्र जारी करके ₹20000 की तत्काल सहायता राशि बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास की योजना 2016 के तहत प्रदान कर पुलिस संरक्षण के साथ उसे उसके निवास स्थान भोपाल भेजना चाहिए.

इसी क्रम में संगठन ने मध्य प्रदेश सरकार से अपील की है कि बंधुआ मजदूरों की पुनर्वास की योजना 2016 के अनुसार शिवपुरी, गुना अशोकनगर, ग्वालियर, सागर, बीना छतरपुर जैसे जिलों में तत्काल बंधुआ मजदूरों की पहचान हेतु सर्वे करवाया जाना चाहिए ताकि मध्य प्रदेश से बंधुआ मजदूरी की गुलामी का कलंक खत्म हो सके. 

निर्मल अग्नि की रिपोर्ट..

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