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व्यापमं घोटाले में सामने आए ये बड़े नाम, कोर्ट में रात 2 बजे तक सुनवाई

सीबीआई की जांच में यह सामने आया कि पीएमटी घोटाले में इस हद तक गड़बड़ियां की गई कि इसकी कोई कल्पना तक नहीं कर सकता. घोटाले में शामिल आरोपियों तक पहुंचने के लिए सीबीआई ने करीब 10 लाख स्टुडेंट्स के रिकॉर्ड को खंगाला. इनमें से 123 ऐसे स्कोरर्स का पता लगाया गया जिनकी जानकारी परीक्षा फॉर्म में फर्जी थी. यह सामने आया कि कई फॉर्म में एक जैसे ईमेल और मोबाइल नंबर हैं.

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व्यापमं घोटाला.
व्यापमं घोटाला.

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मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले मामले में नया मोड़ आया है. सीबीआई ने पीएमटी 2012 परीक्षा मामले में 592 आरोपियों के खिलाफ 1500 पन्नों की चार्जशीट दायर की, जिस पर भोपाल कोर्ट में देर रात 2 बजे तक सुनवाई हुई.

सीबीआई ने चार्जशीट में 245 नए चेहरों को आरोपी बनाया है. इसमें भोपाल के कई बड़े चेहरे शामिल हैं. इनमें से 20 आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी भी लगाई थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि, "इस घोटाले ने सैकड़ों स्टूडेंट्स के भविष्य को बर्बाद कर दिया. यह कृत्य कल्पना से परे है." सुनवाई के दौरान हाजिर न होने पर कोर्ट ने 200 लोगों के खिलाफ अरेस्ट वारेंट जारी किया है.  

यही नहीं, आरोपी देश छोड़कर ना भागे इसके लिए कोर्ट ने 30 नवंबर तक पासपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है. बता दें कि सीबीआई ने इस मामले में भोपाल के प्रतिष्ठित पीपुल्स ग्रुप के सुरेश एन. विजयवर्गीय, चिरायु के डॉ. अजय गोयनका समेत एलएन मेडिकल के जयनारायण चौकसे को आरोपी बनाया है.

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CBI vs STF

सीबीआई से पहले पीएमटी घोटाले की जांच मध्य प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के पास थी. सबसे बड़ी बात एसटीएफ की जांच रिपोर्ट में जिन बड़े लोगों के नामों का जिक्र तक नहीं था उन लोगों पर ही अब सीबीआई ने घोटाले में शामिल होने के आरोप लगाए हैं. ऐसे में एसटीएफ की जांच पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या किसी दबाव के चलते इन आरोपियों के नाम दबाए गए थे या जांच गलत दिशा में की गई?

सीबीआई ने खंगाले 10 लाख बच्चों के रिकॉर्ड...

सीबीआई की जांच में यह सामने आया कि पीएमटी घोटाले में इस हद तक गड़बड़ियां की गई कि कोई कल्पना तक नहीं कर सकता. घोटाले में शामिल आरोपियों तक पहुंचने के लिए सीबीआई ने करीब 10 लाख स्टूडेंट्स के रिकॉर्ड को खंगाला. इनमें से 123 ऐसे स्कोरर्स का पता लगाया गया जिनकी जानकारी परीक्षा फॉर्म में फर्जी थी. यह सामने आया कि कई फॉर्म में एक जैसे ईमेल और मोबाइल नंबर हैं.

दलालों का बड़ा नेटवर्क...

जांच में सामने आया कि दलालों के साथ मिलकर मेडिकल कॉलेज के मालिक सरकारी कोटे से सीटों का सौदा किया करते थे. इस रैकेट को चलाने के लिए कई शहरों में दलालों की टीमें भी थीं. यह सभी दलाल एक दूसरे से संपर्क में थे. बकायदा छात्रों को इसके लिए ट्रेनिंग भी दी जाती थी.

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