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MP गजब है...शिवराज उपवास पर, बगल में किसान धरने पर, और अब सिंधिया का सत्याग्रह!

किसान आंदोलन की आंच से झुलसते मध्य प्रदेश को बचाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज ने गांधीगीरी का रास्ता चुना है. सूबे में शांति बहाली के लिए वो आज से बेमियादी उपवास पर बैठ गए हैं.

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उपवास के जवाब धरने पर किसान
उपवास के जवाब धरने पर किसान

किसान आंदोलन की आंच से झुलसते मध्य प्रदेश को बचाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज ने गांधीगीरी का रास्ता चुना है. सूबे में शांति बहाली के लिए वो आज से बेमियादी उपवास पर बैठ गए हैं. मगर सवाल ये है कि क्या उपवास से खत्म होगा किसानों का आक्रोश. वहीं आंदोलनकारी किसान भी शिवराज के उपवास के जवाब में दशहरा ग्राउंड में ही उपवास पर बैठ गए हैं. यानी अब उपवास का जवाब उपवास से दिया जा रहा है.

आंदोलनकारियों से शिवराज की अपील
दरअसल सुलगते मध्य प्रदेश को शांत करने की जब सारी अपीलें, सारे ऐलान, सारी कवायदें खत्म हो गए, जब लगने लगा कि किसान आंदोलन की आग बुझने के बजाय धधकती ही जा रही है तो इस आग को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेमियादी उपवास पर बैठ गए. ये कहकर कि उनकी एक-एक सांस प्रदेश की जनता के लिए हैं. भोपाल के दशहरा ग्राउंड पर उपवास पर बैठते ही किसानों की बात की. जिसके बाद शिवराज ने कहा, 'किसानों की पीड़ा समझता हूं, किसानों से ही बढ़ेगा प्रदेश'.

ज्योतिरादित्य सिंधिया सत्याग्रह की राह पर
इस बीच कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ऐलान किया है कि वे 14 जून से भोपाल में 72 घंटे का सत्याग्रह करेंगे. सिंधिया ने बताया इससे पहले 12 जून को इंदौर में और 13 जून को मंदसौर में घायल किसानों और मारे गए किसानों के परिजनों से मिलेंगे. 

किसान आंदोलन पर राजनीति भी चरम पर  

सीएम साहब किसानों को समझाने-बुझाने और मनाने के लिए उपवास पर बैठने को मजबूर हैं. इधर कांग्रेस कह रही है कि सीएम को उपवास नहीं राजनीतिक वनवास लेना चाहिए. कांग्रेस शिवराज सरकार पर हमलावर है. लेकिन सूबे के गृहमंत्री मानते हैं कि सारी हिंसा कांग्रेस प्रायोजित है. सुलगते मध्य प्रदेश के बीच धधकती राजनीति है. उपवास पर बैठे सीएम किसानों से मिल रहे हैं, उनसे बात कर रहे हैं.

अब बड़ा सवाल ये है कि आग की लपटों में घिरे मध्य प्रदेश को सीएम का उपवास शांत कर सकेगा, क्या सीएम का उपवास किसानों के आक्रोश को ठंडा कर सकेगा.

शनिवार को भी कई जगहों पर हिंसा
वहीं राज्य में जगह-जगह शनिवार को भी किसानों का प्रदर्शन जारी है. राजगढ़ जिले में प्रदर्शनकारी किसानों ने नरसिंहगढ़ हाईवे जाम कर दिया तो भोपाल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. सिहोर में सड़क पर उतरा किसानों का हुजूम, सुरक्षा के तमाम ऐहतियात के बावजूद ट्रक को आग के हवाले कर दिया गया. सिहोर में आगजनी के बाद भीड़ को तीतर-बीतर करने के लिए पुलिस दागे आंसू गैस के गोले. मध्यप्रदेश के रायसेन में किसानों के समर्थन में कांग्रेस का प्रदर्शन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पुतला जलाया.

हालात ने निपटने की तैयारी
होशंगाबाद में किसानों के प्रदर्शन से निपटने के लिए होम गार्ड, ग्राम रक्षा समिति और अन्य ग्रामीण सुरक्षा कार्यकर्ताओं को विशेष पुलिस ऑफिसर का दर्जा दिया गया है. जिले में पुलिस बल की कमी को देखते हुए कलेक्टर अविनाश लवानिया ने दिए आदेश. 10 जून से 17 जून तक प्रभावी रहेगा आदेश. मंदसौर में फिलहाल हालात सामान्य हैं. सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है.

किसान संगठन आंदोलनकारियों के साथ
लेकिन इस बीच RRS समर्थित भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर कहते हैं कि फसलों का कम दाम मिलने से परेशान किसानों को राहत पहुंचाने में केंद्र और राज्य सरकारें पूरी तरह नाकाम रही है. केलकर कहते हैं, 'किसानों में काफी लंबे वक्त से गुस्सा है. हालात कभी भी बिगड़ने वाले थे. सरकार इसे समझ नहीं सकी और अब इस मुद्दे का पूरी तरह से राजनीतिकरण कर दिया गया.'

वहीं बीजेपी के किसान मंच के प्रमुख विरेंद्र सिंह मस्त ने किसानों के विरोध प्रदर्शन को जायज ठहराते हुए कहा कि विरोध प्रदर्शन तो लोकतंत्र का हिस्सा है. भदोही से बीजेपी सांसद के मुताबिक, प्रशासनिक विफलता के चलते यह विरोध प्रदर्शन उग्र हुआ. इस बीच मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री गौरी शंकर बिसेन ने कहा है कि किसानों की कर्ज माफी के वे पक्ष में नहीं हैं, किसानों का कर्ज माफ नहीं होगा.

ऐसे भड़की हिंसा
दरअसल मंदसौर जिले में किसान आंदोलन के दौरान मंगलवार को पुलिस फायरिंग में 6 किसानों के मारे जाने के बाद पश्चिमी मध्य प्रदेश में भड़की हिंसा और आगजनी के बीच विपक्ष मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को घेरने में जुटा है. जबकि शिवराज लगातार शांति बनाये रखने की अपील कर रहे हैं. शिवराज ने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं के समाधान से लिए उनसे बातचीत करने के लिये हमेशा तैयार है.

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