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भोपाल: कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पर विवाद, गैस पीड़ितों को पैसे देकर लुभाने का आरोप

पीपुल्स यूनिवर्सिटी स्वदेशी वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के तीसरे स्टेज का ट्रायल कर रही है. भोपाल की एक्टिविस्ट रचना धींगरा ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि गैस त्रासदी के गरीब पीड़ितों को वैक्सीन के ट्रायल के लिए लुभाया जा रहा है इसके लिए उन्हें 750 रुपये का लालच दिया जा रहा है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो-पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भोपाल में कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पर विवाद
  • गैस पीड़ितों को पैसे देकर लुभाने का आरोप
  • यूनिवर्सिटी ने विवादों को किया खारिज

भोपाल की पीपुल्स यूनिवर्सिटी ने उन आरोपों को खारिज किया, जिसमें उस पर आरोप लगाया गया था कि यूनिवर्सिटी 750 रुपये के एवज में भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को कोरोना वैक्सीन का ट्रायल करवाने के लिए लुभा रही है. 

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पीपुल्स यूनिवर्सिटी स्वदेशी वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के तीसरे स्टेज का ट्रायल कर रही है. भोपाल की एक्टिविस्ट रचना धींगरा ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि गैस त्रासदी के गरीब पीड़ितों को वैक्सीन के ट्रायल के लिए लुभाया जा रहा है. इसके लिए उन्हें 750 रुपये का लालच दिया जा रहा है. रचना ने कहा कि ट्रायल में शामिल लोगों को सहमति पत्र की कॉपी नहीं दी गई थी. 

लेकिन पीपुल्स यूनिवर्सिटी ने इन आरोपों को खारिज किया है. इंडिया टुडे से बात करते हुए पीपुल्स यूनिवर्सिटी के वीसी राजेश कपूर ने कहा, "ये आधारहीन आरोप हैं. हमने भोपाल के 1722 लोगों पर ट्रायल किया है. अब इन्हें 28 दिनों के बाद दिए जाने वाले दूसरे डोज की भी शुरुआत हो गई है. क्या आपका ये कहना है कि हमने इन सभी 1722 लोगों को 750 रुपये देकर लुभाया है, ये लालच नहीं है बल्कि एमपी सरकार द्वारा सत्यापित महंगाई भत्ता है जो ट्रायल में शामिल वॉलंटियर्स को दिया जाता है. इनके योगदान को पैसों में आंका नहीं जा सकता है."

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भोपाल गैस पीड़ितों के सवाल पर राजेश कपूर ने कहा कि पीपुल्स यूनिवर्सिटी के आसपास ऐसे कुछ लोग रहते हैं, लेकिन हम ट्रायल में सभी को शामिल नहीं करते हैं, इसके लिए मानक है, हमने राज्य के गृह मंत्री को वैक्सीन नहीं दी क्योंकि वे हमारे मानकों पर सही नहीं उतर रहे थे, क्योंकि उनके नजदीकी परिवार में एक व्यक्ति कोरोना से पीड़ित था. उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन को सरकार की ओर से इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत देने के बाद इस मुद्दे पर लोगों की सक्रियता बढ़ गई है. 

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वहीं रचना धींगरा का आरोप है कि गैस त्रासदी के पीड़ितों को ये नहीं बताया गया कि वे एक ट्रायल का हिस्सा बनने जा रहे हैं, इसके बदले में उन्हें ये विश्वास दिलाया गया कि उन्हें कोरोना का ही वैक्सीन दिया जा रहा है.

रचना धींगरा ने कहा कि पीपुल्स यूनिवर्सिटी ने नियमों का उल्लंघन किया है. उन्होंने एक वॉलंटियर का वीडियो पोस्ट करते हुए कहा कि ये शख्स पहला डोज लेने के बाद पॉजिटिव हो गया था लेकिन यूनिवर्सिटी ने इसका इलाज नहीं करवाया. 

पीपुल्स यूनिवर्सिटी ने इस वीडियो से जुड़े आरोपों को खारिज किया और उसी वॉलंटियर का एक वीडियो ट्विटर पर पोस्ट किया. इस वीडियो में ये शख्स कह रहा है कि एक महिला उसके पास आई और उससे ये कहने लगी कि ये सिर्फ गरीबों पर किया जा रहा है. यूनिवर्सिटी द्वारा पोस्ट किए गए इस वीडियो में ये शख्स कह रहा है, "मैं अस्पताल आया था और अस्पताल में मुझे दवा मिल रही है, हालांकि कुछ डॉक्टरों ने पहले कहा था कि मुझे खुद ही दवा खरीदनी होगी." बता दें कि भोपाल में 1984 की गैस त्रासदी के शिकार कई लोग रहते हैं. 
 

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