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MP: 30 साल से रैगांव सीट पर था बीजेपी का कब्जा, उपचुनाव में ढह गया सबसे मजबूत किला

बीजेपी ने चार में से तीन सीट जीत कर विधानसभा में अपने विधायकों की तादाद तो बढ़ा लिया लेकिन 30 साल से जो रैगांव विधानसभा सीट पार्टी का मजबूत किला थी, वहां मात खानी पड़ी है.

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30 साल से बीजेपी के कब्जे में थी ये सीट (प्रतीकात्मक तस्वीर)
30 साल से बीजेपी के कब्जे में थी ये सीट (प्रतीकात्मक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सीएम ने बसपा के उम्मीदवार न उतारने को बताया वजह
  • रैगांव सीट पर हार की करेंगे समीक्षा- शिवराज सिंह चौहान

मध्य प्रदेश की चार रिक्त सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. बीजेपी इन चार में से तीन सीटें जीतने में सफल रही है वहीं दूसरी तरफ पार्टी का एक मजबूत किला ध्वस्त हो गया है. बीजेपी ने चार में से तीन सीट जीत कर विधानसभा में अपने विधायकों की तादाद तो बढ़ा लिया लेकिन 30 साल से जो रैगांव विधानसभा सीट पार्टी का मजबूत किला थी, वहां मात खानी पड़ी है.

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रैगांव से कांग्रेस की उम्मीदवार कल्पना वर्मा ने बीजेपी प्रत्याशी प्रतिमा बागरी को हरा दिया. रैगांव सीट से विधायक रहे पूर्व मंत्री जुगल किशोर बागरी का निधन हो गया था. विधायक के निधन से रिक्त हुए इस सीट पर उपचुनाव हुए और बीजेपी को हार मिली.

बसपा का ना लड़ना पड़ा बीजेपी पर भारी- शिवराज

रैगांव विधानसभा सीट पर मिली हार के बाद 'आजतक' से बात करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बसपा यहां से चुनाव लड़ती रही है. बसपा ने इसबार रैगांव सीट से अपना उम्मीदवार नहीं उतारा. इसके चलते बसपा का वोटबैंक कांग्रेस की ओर चला गया. नतीजतन, बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस हार की समीक्षा की जाएगी. 

बागरी परिवार की अनदेखी बनी हार की वजह?

बीजेपी के सूत्रों की मानें तो जुगल किशोर बागरी के निधन से खाली हुई इस सीट पर पार्टी ने उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं दिया. जुगल किशोर बागरी के परिवार से किसी को टिकट देने की बजाए पार्टी ने प्रतिमा बागरी पर विश्वास जताया. बीजेपी को इसी का नुकसान उठाना पड़ा है. दूसरी तरफ कल्पना वर्मा का 2018 विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र में सक्रिय रहना काम आया और इस बार वो जीत गईं.

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