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उपचुनाव से पहले मतदान केंद्रों के निकट हनुमान चालीसा का पाठ करवा रहे हैं उम्मीदवार

चुनाव के दौरान राजनीतिज्ञों का पूजा-पाठ करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम लोकसभा उपचुनाव से ठीक पहले बीजेपी की ओर से 2000 मतदान केंद्रों के करीब हफ्ते में दो बार हनुमान चालीसा का पाठ करवाने से एक नया विवाद पैदा हो गया है.

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चुनाव के दौरान राजनीतिज्ञों का पूजा-पाठ करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम लोकसभा उपचुनाव से ठीक पहले बीजेपी की ओर से 2000 मतदान केंद्रों के करीब हफ्ते में दो बार हनुमान चालीसा का पाठ करवाने से एक नया विवाद पैदा हो गया है.

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प्रदेश में सत्ताधारी बीजेपी की कार्यकारिणी के सदस्य दौलत भावसार ने बताया, 'हम रतलाम लोकसभा सीट के लगभग 2,000 मतदान केंद्रों के तहत आने वाले इलाकों में हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करवा रहे हैं.' भावसार ने कहा कि चुनाव एक महायज्ञ की तरह होता है और इस जंग में कूदने से पहले यदि संकटमोचक भगवान का नाम लिया जाए, तो इसमें कोई बुरी बात नहीं है.

धुव्रीकरण का आरोप
दूसरी ओर, कांग्रेस के पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा ने दावा किया कि ‘मोदी लहर ’ समाप्त हो चुकी है इसलिए बीजेपी अब किसी ‘दैवीय चमत्कार’ की आशा में है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘आदिवासी जनता व्यापम घोटाले के तहत सरकारी भर्तियों और मेडिकल कॉलेजों के दाखिलों में धांधली के जरिए भाजपा का असली चेहरा देख चुकी है.’

कम्युनिस्ट पार्टी (एम) के सरोज बादल ने आरोप लगाया कि रतलाम लोकसभा क्षेत्र ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रयोगशाला’ बन गया है. संघ ने इस क्षेत्र में कम से कम 2,500 पूर्णकालिक लोगों को तैनात किया है और उसने इस क्षेत्र में हिंदू वोटों का धुव्रीकरण कर दिया है.

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बीजेपी का इनकार
भावसार ने इस बात को सिरे से खारिज किया कि बीजेपी उपचुनाव के दौरान हनुमान का नाम लेकर साम्प्रदायिक माहौल बनाना चाहती है, ताकि हिंदू वोटों का धुव्रीकरण किया जा सके. उन्होंने कहा, 'यदि ईसाई जीसस का नाम लेते हैं या मुस्लिम अल्लाह का नाम लेते हैं तो हिंदुओं द्वारा हनुमानजी का नाम लेने में क्या हर्ज है? उन्होंने जोर देकर कहा, 'हम चुनाव तक हनुमान चालीसा का पाठ करते रहेंगे.'

गौरतलब है कि वरिष्ठ आदिवासी नेता और बीजेपी सांसद दिलीप सिंह भूरिया के पिछले माह हुए निधन के बाद रतलाम लोकसभा सीट के उपचुनाव हो रहे हैं. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस क्षेत्र के तीन जिलों रतलाम, झाबुआ और अलीराजपुर की आठ विधानसभा सीटें आती हैं.

यह आदिवासी बहुल सीट आजादी के बाद से ही कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया, बीजेपी के दिलीप सिंह भूरिया से करीब 1.12 लाख वोटों से हार गए थे. इसके पहले कांग्रेस ने वर्ष 1977 में यह सीट प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से हारी थी. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन इस लोकसभा क्षेत्र में काफी कमजोर रहा था.

-इनपुट भाषा से

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