मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीसरी बार मुख्यमंत्री बनते ही मंच से ऐलान किया था कि नशा मुक्ति की दिशा में काम करते हुए शराब की नई दुकान नहीं खुलेगी. लेकिन महीने भर के भीतर ही करीब ढाई हज़ार देसी शराब की दुकानों से ही अंग्रेजी शराब बेचने का ऐलान कर दिया गया.
कांग्रेस का आरोप है कि शिवराज की करनी और कथनी में बहुत अन्तर है. शिवराज सिंह चौहान ने 14 दिसंबर, 2013 को कहा था, 'नशा मुक्त प्रदेश का निर्माण करना है. बहनों और भाइयों, एक संकल्प लिया है कि मध्य प्रदेश की धरती पर कोई भी शराब की दुकान खुलने नहीं दी जाएगी. ये बीजेपी की सरकार है. नशा जैसी चीजें समाज की जड़ों को खोखला करती हैं. हम इसे धीरे-धीरे कैसे समाप्त करें, उस दिशा में आगे बढ़ेंगे.'
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज ने 14 दिसंबर को शपथ लेते ही अपने भाषण में कहा कि उनकी सरकार नशा मुक्त प्रदेश बनाना चाहती है. नशा समाज की जड़ों को खोखला करती है. लेकिन शिवराज ने दूसरी ही कैबिनेट मीटिंग में फैसला किया कि प्रदेश के देसी शराब की दुकानों में भी अंगरेजी शराब भी मिलेगी, जिससे सरकार को साल भर में 200 करोड़ की अनुमानित आय होगी. शिवराज कैबिनेट के बड़े मंत्री इस फैसले के बाद सफाई पर उतर आए हैं. अब जरा उनके तर्क भी सुन लीजिए...
नगर प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, 'माननीय मुख्यमंत्री ने कहा है कि नई शराब की दुकान नहीं खुलेगी, पर अवैध शराब भी नहीं बिके. अवैध शराब बिकेगी, तो दुर्घटना हो सकती है. इंदौर में भी सैंकड़ों लोग मारे गए थे. अवैध शराब, जहरीली शराब, बिलो स्टैंडर्ड शराब नहीं बिके...'
उद्योग मंत्री यशोधरा राजे कहती हैं, 'फाइनेंसियल बर्डन जिसको कहते हैं...शराब की पॉलिसी इन्होंने चेंज तो नहीं किया. उन्होंने घोषणा की कि कोई नई दुकान नहीं खोली जाएगी...कैबिनेट में काफी बहस हुई.'
प्रदेश में 937 अंग्रेजी शराब की दुकानें हैं और 2737 देसी शराब की दुकानें हैं, जिसमें अब अंग्रेजी शराब भी बिकेगी. कांग्रेस का कहना है कि यह सरकार जो घोषणा करती है, उसे पूरा नहीं करती.
कांग्रेस प्रवक्ता मानक अग्रवाल ने कहा, 'शिवराज सिंह घोषणा करते हैं. उनकी घोषणा पर अधिकारी अमल नहीं करते हैं. अधिकारी ने ऐसा किया कि देसी शराब की दुकानों पर विदेशी शराब बिकने लगी धड़ल्ले से. प्रदेश में देशी और अंग्रेजी शराब बिक रही है. लोग परेशान हैं. महज कहने के लिए ही शराबबंदी है.'
गौरतलब है कि कई मंत्रियों ने कैबिनेट में शिवराज को यह नसीहत भी दी थी कि लोकसभा में इस फैसले से गलत संदेश जाएगा. लेकिन कैमरे पर सब मंत्री एक सुर में हैं.