मध्य प्रदेश में पिछले 15 साल से सत्ता का वनवास झेल रही कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए वापसी की है. ताजा चुनावी रुझानों के मुताबिक, कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर चल रही है. दोनों पार्टियों की नैया निर्दलीय उम्मीदवार पार लगा सकते हैं.
दरअसल, मध्य प्रदेश में बहुमत के लिए 116 सीट चाहिए, लेकिन ताजा हालातों को देखें तो ना बीजेपी और ना ही कांग्रेस सरकार बना पा रही है. वहीं, देखा जाए तो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी करीब 10 से 12 सीटों पर आगे चल रहे हैं और यदि वो जीत हासिल करते हैं तो सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.
2013 में विधानसभा की क्या थी तस्वीर...
मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों में से 35 सीट अनुसूचित जाति जबकि 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 148 गैर-आरक्षित सीटें हैं. 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 165 सीटों पर जीत हासिल कर राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई थी, जबकि कांग्रेस को 58 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 4 जबकि 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.
राजस्थान में भी यही हालात...
राजस्थान में भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच पेंच फंसा हुआ है. कांग्रेस की सुई बहुमत के नजदीक जाकर अटक गई है. वहीं, बीजेपी ने भी उम्मीद नहीं हारी है. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि राजस्थान में निर्दलीय किस ओर जाते हैं. यदि बसपा, सपा कांग्रेस के साथ आती है तो वो सरकार बनने में कामयाब होंगी.
यदि जरुरत पड़ी तो देंगे कांग्रेस का साथ...
समाजवादी पार्टी के नेता और सांसद रामगोपाल यादव ने मीडिया से बातचीत में कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही है. उन्होंने कहा कि यदि जरुरत पड़ी तो मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी कांग्रेस का साथ देगी और सरकार बनाएगी.