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कर्नाटक के बाद MP की कांग्रेस सरकार पर खतरा, BSP विधायक बोले- अपने विधायक संभाले कांग्रेस

बसपा विधायक संजीव सिंह ने कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार गिरने के बाद कमलनाथ सरकार को सुझाव देकर कहा है कि कांग्रेस को अपने विधायकों को संभालना चाहिए.

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ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ (तस्वीर- PTI)
ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ (तस्वीर- PTI)

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कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार के गिरने के बाद मध्य प्रदेश में भी ऐसी अटकलें शुरू हो गई हैं. सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा तेज है कि भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक में सत्ता पाने के बाद मध्य प्रदेश में भी खेल बिगाड़ सकती है. इस बीच मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को उनकी सहयोगी पार्टी बहुजन समाज पार्टी (BSP) के विधायक ने सरकार बचाने की हिदायत दे डाली है.

बसपा विधायक संजीव सिंह ने कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार गिरने के बाद कमलनाथ सरकार को सुझाव देकर कहा कि कांग्रेस को अपने विधायकों को संभालना चाहिए. उन्होंने कहा, 'कर्नाटक में जो स्थिति बनी वो कांग्रेसियों के जाने के बाद बनी. कांग्रेस को अपने विधायकों को संभालना चाहिए. हम लोगों पर शंका करने की कोई वजह नहीं.'

उन्होंने कहा, 'कर्नाटक में जब 15 कांग्रेस विधायक गए तभी सरकार गिरी. अगर विधायक असंतुष्ट हैं तो मुझे लगता है कांग्रेस को और सरकार को सोचना चाहिए. हम लोग पूरी ताकत से सरकार के साथ खड़े हैं.'

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बता दें कि कर्नाटक में बसपा के एकलौते विधायक कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार के पक्ष में वोटिंग के दौरान विधानसभा से गायब रहे. हालांकि, उनके इस बर्ताव के बाद पार्टी प्रमुख मायावती ने उन्हें निलंबित कर दिया. हालांकि,  मध्य प्रदेश में भी बीएसपी कांग्रेस सरकार में सहयोगी है. लेकिन समय-समय पर बसपा विधायक और कमलनाथ सरकार के बीच तालमेल में कमी की बात उठती रही है.

संजीव सिंह भी पहले जता चुके हैं नाराजगी

बीते हफ्ते ही बीएसपी विधायक संजीव सिंह ने कमलनाथ सरकार को सलाह दी थी कि सरकार के मंत्री, निर्दलीय और समर्थन देने वाले विधायकों का भी ध्यान रखें. संजीव सिंह का आरोप था कि कमलनाथ सरकार के मंत्री न तो फोन उठाते हैं और न ही ठीक से मिलने का समय देते हैं. गौरतलब है कि बीएसपी के संजीव सिंह भिंड से विधायक हैं.

बीएसपी विधायक संजीव सिंह ने कहा था, 'सीएम कमलनाथ से कोई नाराजगी नहीं है. लेकिन एक बात जरूर कहना चाहूंगा कि जो विधायक सरकार को समर्थन दे रहे हैं उन विधायकों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए. कुछ मंत्रियों का रवैया ठीक नहीं है. उनकी कार्यप्रणाली भी ठीक नहीं है. जनता ने हमें बहुत अपेक्षा से और आशा के साथ यहां चुनकर भेजा है और अगर हम उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे तो हमारे विधायक रहने का कोई मतलब नहीं है. हम अपने और जनता के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे.'

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उन्होंने कहा था, 'मंत्रिमंडल में किसी को लेना है या नहीं लेना है किस को हटाना है नहीं हटाना है यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. लोकसभा चुनावों में जो परिणाम आए हैं उनकी समीक्षा करके मुख्यमंत्री को कोई निर्णय लेना चाहिए. जो निर्दलीय विधायक हैं, समाजवादी पार्टी के हैं या बसपा के हैं उन पर भी कोई फैसला उनको लेना चाहिए.'

शिवराज ने कहा था- कभी भी गिर सकती है कमलनाथ सरकार

हाल ही में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई कांग्रेस विधायकों के संपर्क में होने का दावा करते हुए कहा कि सरकार ज्यादा समय तक नहीं चल सकती.

ऐसे में राजनीतिक गलियारों में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि मध्य प्रदेश में कुछ उलट-फेर हो सकता है. सीटों की बात करें तो राज्य में विधानसभा की 230 सीटें हैं. पिछले साल दिसंबर में हुए चुनाव में भाजपा को 109 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 114 सीटें मिलीं. वहीं बीएसपी और एसपी को एक-एक जबकि 4 सीटों पर निर्दलीय जीते थे.

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