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भोपाल के नवाब की संपत्ति को केंद्र सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया जिससे यहां रहने वाले लोगो

कभी न खत्म होने वाला भोपाल के नवाब का संपत्ति विवाद इस बार भोपाल और आस-पास के जिलों के पांच लाख लोगों पर भारी पड़ने वाला है.

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कभी न खत्म होने वाला भोपाल के नवाब का संपत्ति विवाद इस बार भोपाल और आस-पास के जिलों के पांच लाख लोगों पर भारी पड़ने वाला है. भोपाल, रायसेन, सीहोर समेत कुछ अन्य इलाकों में नवाब हमीदुल्ला खान की हजारों एकड़ संपत्ति है, जिसमें से काफी सारी संपत्ति बेची जा चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार नवाब की सारी संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया है. अब सरकार इन संपत्तियों में काबिज लोगों को या तो बेदखल कर देगी या उन्हें किराएदार बना दिया जाएगा.

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अपने घर में किराएदार
भोपाल का कोहेफिज़ा, ईदगाह हिल्स, लालघाटी, हलालपुरा, बोरबन, बहेटा, बैरागढ़, लाउखेड़ी, गिन्नौरी, तलैया, नव बहार फल-सब्जी मंड़ी, ऐशबाग स्टेडियम क्षेत्र, कोटरा सुल्तानाबाद, इस्लाम नगर, खजूरी और सीहोर और रायसेन जिले का कुछ इलाका भी शत्रु संपत्ति की जद में आता है. कोहेफिजा में रहने वाले शारिक खान ने 2005 में लगभग 30 लाख रुपये में एक बिल्डर से मकान खरीदा था, जिसकी कीमत अब दो गुनी हो चुकी है. सरकार शत्रु संपत्ति का आदेश जारी रहा तो मुमकिन है, शारिक अपने खुद के मकान में किरायदार बन जाऐंगे. शारिक कहते हैं, 'हमने अपनी पूरी कमाई इस घर को खरीदने में लगा दी. अब सरकार चाहती है कि हम अपनी संपत्ति उसे सौंप दें.'

क्योंकि नवाब की बेटी पाकिस्तान चली गई
शत्रु संपत्ति की जद में लगभग 15,000 हेक्टेयर जमीन आ रही है जो भोपाल और आस-पास के इलाकों में फैली है. यह सारी संपत्ति नवाब हमीदुल्ला खान के नाम पर थी. नवाब की मौत 1960 में हो गई लेकिन उससे पहले ही 1951-52 में उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान भारत छोड़कर पाकिस्तान चली गईं थी. कायदे से नवाब की मौत के बाद सबसे बड़ी संतान होने के नाते आबिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी बनाया जाना चाहिए था और सारी संपत्ति उनके कब्जे में आना चाहिए थी, लेकिन वे भारत छोड़ चुकी थीं. इसलिए 1962 में नवाब की मंझली बेटी साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया गया.

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1995 में साजिदा सुल्तान की मौत के बाद उनके बेटे नवाब मंसूर अली खान पटौदी को उत्तराधिकारी बनाया गया और उनकी मृत्यु के बाद सैफ अली खान वारिस बने, लेकिन अब केंद्र सरकार आबिदा सुल्तान को नवाब की संपत्ति का उत्तराधिकारी मानते हुए और शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 के तहत कारवाई करते हुए संपत्ति को अपने कब्जे में ले रही है. इस बीच सैफ अली खान ने शत्रु संपत्ति कार्यालय की नवाब की तमाम संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित करने के आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती दी है. केंद्र सरकार के मुंबई स्थित शत्रु संपत्ति कार्यालय के नवाब की सभी चल-अचल संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर देने से उस संपत्ति को खरीदने और उस पर रहने वाले लोग भी इसकी जद में आ गए है. अपनी याचिका में सैफ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, शत्रु संपत्ति कार्यालय और मध्य प्रदेश के राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को पार्टी बनाया है.

क्या है शत्रु संपत्ति
शत्रु संपत्ति कार्यालय केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करता है. शत्रु संपत्ति कानून के मुताबिक पाकिस्तान और चीन जैसे शत्रु देश में रहने वाले व्यक्ति की संपत्ति का नियंत्रण सरकार अपने हाथ में ले लेती है और संपत्ति की देख-रेख और उसे बेचने का हक भी सरकार का ही होता है.
भोपाल में जिन लोगों के घर शत्रु संपत्ति की जद में आ गए हैं, उन्होंने घर बचाओ संघर्ष समिति बना ली है. अब ये लोग भी अपनी लड़ाई को कोर्ट में लड़ने पर विचार कर रहे हैं. समिति के उपसंयोजक जगदीश छावानी कहते है, 'इस फैसला के पीछे भूमाफिया और अफसरों की मिलीभगत है.'

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