चंबल के पूर्व दस्यु सम्राट मलखान सिंह ने सिंधिया को गद्दार कहने पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री को खरी-खोटी सुनाकर उनके पुराने दिनों को याद करवा दिया, जब वे टूटी झोपड़ी में रहते थे और टूटी साइकिल पर फटा झोला टांगकर गांव-गांव इंजेक्शन लगाने जाते थे.
कांग्रेस के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता डॉक्टर गोविंद सिंह ने दिए गए बयान में सिंधिया को गद्दार बताया था, उसी बयान को लेकर चंबल के पूर्व दस्यु सम्राट दद्दा मलखान सिंह ने डॉक्टर का नाम लिए बगैर जमकर प्रहार किया और खूब खरी-खोटी सुनाई. मलखान सिंह ने कहा कि टूटी झोपड़ी में रहने वाले, फटे झोले में दवाई लेकर टूटी साइकिल से इंजेक्शन लगाने वालों पर आज हजारों बीघा जमीन कहां से आ गई, क्या ये गद्दारी नहीं है.
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मलखान सिंह ने पूर्व मंत्री को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा, "जिनके पास कुछ साधन नहीं था और जो मेरे समय में एक टूटी साइकिल लेकर डेढ़ रुपये में गांव-गांव जाकर इंजेक्शन लगाते थे, आज बढ़-बढ़ कर बातें कर रहे हैं. जो सिंधिया के खिलाफ बात करते हैं, बगावत करते हैं, ये अच्छी बात नहीं है. ये बड़े-बड़े नेताओं की बात है. इसमें बड़े नेता सिंधिया जी का मुकाबला करें तो अच्छी बात है और अच्छा लगता है."
मलखान सिंह ने आगे कहा, "आज दिग्विजयसिंह सिंह है, कमलनाथ हैं, ये दोनों तरफ के नेता हों तो इनकी बात अलग है. उनके बीच में हमको नहीं बोलना चाहिए. अब छोटे दल के जो नेता हैं, इनकी व्यवस्थाएं सबको पता हैं. आज कोई गद्दार कहता है, कोई कुछ कहता है, ये सब बकवास है. किसी को गद्दार कहना, किसी को अच्छा बुरा कहना, ये गलत बात है."
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इसके बाद पूर्व दस्यु सम्राट मलखान सिंह ने पूर्व मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, "तुम्हारे पास एक बीघा जमीन नहीं थी, आज हजारों बीघा जमीन पड़ी है. मैं उस वक्त बागी था, मुझे तुम्हरी औकात पता है. एक टूटी सी झोपड़ी, एक टूटी सी मड़ैया, जरा सी आयुर्वेदिक दवाई और झोला फटा हुआ...एक टूटी हुई साइकिल और आज हजारों बीघा जमीन अवैध घेर-घेर के ट्यूबबेल लगाए, ये गद्दारी नहीं है."
बता दें कि डॉक्टर गोविंद सिंह चंबल इलाके की लहार विधानसभा सीट से विधायक हैं और पिछली कमलनाथ सरकार में सहकारिता विभाग के कैबिनेट मंत्री भी थे. वह लहार विधानसभा सीट से 7 बार विधायक बने हैं. वहीं, पूर्व दस्यु सम्राट मलखान सिंह कभी चंबल में खौफ का पर्याय थे. चंबल में 18 सालों तक उसकी बादशाहत चली और चंबल के 6 जिलों में उसका आतंक था. 1982 में हथियार डालकर वे अध्यात्म की राह पर चले और अब सामाजिक कामों में सक्रिय हैं.