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उभरता चंबलः विकास की नई इबारत लिखते बीहड़

चंबल के बीहड़ कुछ समय पहले तक डकैतों और खौफ का पर्याय माने जाते थे. लेकिन अब तस्वीर बदल गई है. यहां विकास की बयार बहने लगी है. इंडिया टुडे की उभरता चंबल समिट में इसी नए दौर के चंबल पर विस्तार से चर्चा हुई.

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Shivraj Singh Chauhan
Shivraj Singh Chauhan

जब भारत विश्व में बड़ी आर्थिक शक्ति बनकर चीन को पीछे छोड़ेगा, तब उसमें विशेष रूप से ग्वालियर-चंबल अंचल का विशेष योगदान होगा क्योंकि यहां पर हर संसाधन के साथ प्रतिभाशाली उद्यमी और किसान हैं. इसकी शुरूआत भी हो चुकी है और अब चंबल की धरती डकैत नहीं बल्कि मध्य प्रदेश और देश की तरक्की में योगदान देने के लिए तैयार हो चुकी है. यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 'इंडिया टुडेः उभरता चंबल समिट' में कही. चंबल की बदलती तस्वीर पर उनके अलावा इस कार्यक्रम में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन और बॉलीवुड कलाकार नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी शरीक हुए.

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अब आबाद होंगे बीहड़
ग्वालियर के होटल उषा किरण पैलेस में इंडिया टुडे की ओर से 16 जून को आयोजित उभरता चंबल समिट में मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, “चंबल के बीहड़ों में अब शांति है. डकैतों का आतंक नहीं है और आने वाले समय में यहां के युवा उद्यमी नई पहचान बनाएंगे. राज्य सरकार इसमें पूरी मदद कर रही है और चंबल के बीहड़ों में ऐसा बुनियादी ढांचा तैयार करने में जुटी है, जिससे नौजवानों को मदद मिले. सरकार एक औद्योगिक गलियारा बना रही है, जो चंबल नदी से शुरू होकर मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी और गुना तक जाएगा और राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर उद्योग लगेंगे. इसके लिए 5,000 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि का चयन भी हो गया है. चंबल के बीहड़, जिनमें लाखों हेक्टेयर जमीन बंजर है, इसका उपयोग उद्योग लगाने और समतल करके टाउनशिप विकसित करने की भी योजना है. चंबल अंचल में 37 से ज्यादा इंजीनियरिंग कालेज हैं और यहां के युवाओं को राज्य से बाहर नहीं जाना पड़े, इसके लिए ग्वालियर और इंदौर में आइटी पार्क बनाए गए हैं. पहले टीसीएस और इन्फोसिस जैसी कंपनियां राज्य में आती नहीं थी, लेकिन वे अपने प्रोजेक्ट यहां लगाने को तैयार हैं.

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केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन का जोर चंबल के संपूर्ण विकास के लिए प्रदेश सरकार को अलग से नीति बनाने पर रहा. उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार इस आशय का कोई प्रस्ताव भेजती है तो वे प्रधानमंत्री के समक्ष इसे उठाने को तैयार हैं. जैन के मुताबिक अब तो यह मिथक टूट जाना चाहिए कि चंबल में सिर्फ डकैत ही पैदा होते हैं. यह क्षेत्र देश का हृदय स्थल है और अब ऐसा संदेश पूरे देश में जाना चाहिए कि चंबल से विकास की नई धारा निकलेगी, लेकिन इसके लिए जो योजनाएं और औद्योगिक प्रस्ताव बनाए गए हैं, उन्हें हकीकत में तब्दील करने की जरूरत है.

एजुकेशन ही कामयाबी का मंत्र
साल 2012 की अपनी चार फिल्मों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे गए बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने छोटे शहर के युवाओं के बड़े ख्वाबों को सच करने के लिए खुद के टैलेंट पर भरोसा करने को कहा. पान सिंह तोमर फिल्म में डकैत का रोल अदा करने वाले नवाजुद्दीन ने चंबल के बीहड़ों के संस्मरण सुनाए और उन्होंने यहां के युवाओं को संदेश दिया कि वे शिक्षा का दामन जरूर थामे रखें. शिक्षा ही एक ऐसा रास्ता है, जो कड़ी मेहनत की ओर बढ़ाता है और इससे कामयाबी जरूर मिलती है. नवाजुद्दीन ने अपनी मिसाल पेश की और कहा कि उन्हें कई बार रिजेक्ट किया गया, लेकिन वे डटे रहे और अब जाकर उनकी प्रतिभा को सम्मान मिला. इस सफलता में उनकी शिक्षा का योगदान काफी रहा है.

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आइटीएम यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति रमाशंकर सिंह ने कहा, “अपराध आर्थिक और सामाजिक विसंगतियों के पनपते हैं, लेकिन शिक्षा ही वह हथियार है, जो यह असमानता दूर कर सकती है. यही वजह है कि आइटीएम यूनिवर्सिटी में पूरे देश के साथ चंबल अंचल के 4,000 से ज्यादा छात्र शिक्षित होकर दुनिया की नामीगिरामी कंपनियों में यहां की पहचान बदल रहे हैं.” चंबल में डकैतों का सफाया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आइपीएस अधिकारी संजय झा ने कहा कि चंबल की मिट्टी और पानी लोगों में जुनून पैदा करती है और इसी वजह से वे जो ठान लेते हैं, वे करके दिखाते हैं. डकैतों के पनपने का एक कारण यह भी रहा कि दिशाहीन युवक हथियारों को लेकर बीहड़ में बागी बन गए. अब अंचल में शिक्षा और रोजगार के साधन विकसित हो रहे हैं और उम्मीद है कि युवा बागी नहीं बल्कि देश के विकास में योगदान देंगे.

समिट में मौजूद दर्शकों ने वक्ताओं से सीधे सवाल किए और इसमें यह सहमति जरूर नजर आई दशकों से डकैतों के लिए कुख्यात रहे चंबल के बीहड़ अब उड़ान भरने के लिए तैयार है और अब जरूरत है यहां के युवाओं को नई दिशा देने और आधारभूत संरचना तैयार करने की. इसके बाद यहां से जो विकास की धारा निकलेगी, वह देश की तरक्की में विशेष योगदान करेगी.

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