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MP: ‘जात ही पूछो साधु की’ नाटक पर बजरंग दल की धमकी के बाद छतरपुर थिएटर फेस्टिवल रद्द  

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में होने वाले पांच दिवसीय थिएटर महोत्सव को रद्द कर दिया गया है. ये फैसला बजरंग दल से मिली धमकी के बाद इप्टा ने लिया. दरअसल इस महोत्सव में होने वाले नाटक ‘जात ही पूछो साधु की’ को लेकर बजरंग दल ने विरोध किया था.  

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बजरंग दल (फाइल-फोटो)
बजरंग दल (फाइल-फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इप्टा ने आयोजन रद्द करने का लिया फैसला 
  • पांच दिन चलना था छतरपुर थिएटर फेस्टिवल
  • पुलिस से इप्टा ने की थी सुरक्षा देने की मांग 

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) ने पांच दिवसीय छतरपुर थिएटर फेस्टिवल को रद्द कर दिया है. ये फेस्टिवल 28 फरवरी से 4 मार्च तक होना था. दरअसल बजरंग दल ने धमकी दी थी कि अगर इस फेस्टिवल में विजय तेंदुलकर के लिखे नाटक ‘जात ही पूछो साधु की’ का मंचन हुआ तो इस आयोजन को नहीं होने दिया जाएगा.

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बजरंग दल का आरोप है कि इस नाटक में हिंदू संतों पर निशाना साधा गया है. वहीं आयोजकों का कहना है कि विरोध करने वाले सिर्फ नाटक के नाम को देखकर विरोध कर रहे हैं, असल में ये नाटक भारतीय समाज को प्रभावित करने वाली कई बुराइयों पर कटाक्ष है.   

 
पहले कई बार हुआ मंचन 
बताया गया है कि ‘जात ही पूछो साधु की’ नामचीन नाटककार विजय तेंदुलकर के मराठी नाटक ‘पाहिजे जातीचे’ का हिन्दी अनुवाद है. इसे मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में पहले मंचित किया जा चुका है. आखिरी बार इसका मंचन छतरपुर में 7 नवंबर को हुआ था, लेकिन अब बजरंग दल की छतरपुर जिला यूनिट ने इस पर आपत्ति जताई है. 26 फरवरी को बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने नाटक के खिलाफ स्थानीय एसडीएम को ज्ञापन दिया था. साथ ही आयोजन में खलल डालने की धमकी दी थी. बजरंग दल के इस रुख ने आयोजकों को पूरा पांच दिवसीय फेस्टिवल रद्द करने का फैसला लेने को मजबूर कर दिया.    

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ये बोले बजरंग दल नेता 
बजरंग दल के जिला समन्वयक सुरेंद्र शिवहरे ने आजतक से कहा कि ये नाटक हिन्दू संतों को लक्ष्य बनाता है और हमने जिला प्रशासन से आग्रह किया कि वो इसके मंचन की अनुमति न दें. अगर उन्होंने हमारी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की तो हम उग्र प्रदर्शन के लिए विवश होंगे.


ये बोले इप्टा पदाधिकारी 
वहीं इप्टा का कहना है कि प्रदर्शनकारी नाटक के बारे में कुछ नहीं जानते, वो बस इसके शीर्षक को देख रहे हैं. ये नाटक कटाक्ष है और भारतीय समाज में जात-पात और पितृप्रधान सत्ता जैसी कुछ बुराइयों को उजागर करता है. इप्टा के राज्य महासचिव शिवेंद्र शुक्ला ने कहा कि हमने इस नाटक का कई मौकों पर मंचन किया है. प्रदर्शनकारी सिर्फ नाटक के नाम पर जा रहे हैं, उन्होंने न कभी नाटक देखा और ना हीं वो इसकी स्क्रिप्ट के बारे में कुछ जानते हैं.  

क्या कहा अधिकारी ने? 
छतरपुर नगर पालिका ने पुष्टि की है कि फेस्टिवल को रद्द कर दिया गया है. नगर पलिका के चीफ म्युनिसिपल ऑफिसर ओमपाल सिंह भदौरिया ने कहा कि जहां फेस्टिवल होना था वो हमारी जगह है और हमें एसडीएम से निर्देश मिले कि ‘जात ही पूछो साधु की’ के मंचन की अनुमति नहीं दी जाए. आयोजकों से हमें स्वेच्छा से आवेदन मिला कि वे फेस्टिवल को रद्द करना चाहते हैं.   

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वहीं विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार पर इस मुद्दे को लेकर निशाना साधा है. कांग्रेस का कहना है कि नामचीन नाटककारों और स्कॉलर्स की आवाज को उन लोगों की ओर से दबाया जा रहा है जिन्हें सत्तारूढ़ पार्टी का संरक्षण हासिल है. वहीं इप्टा ने ये दावा भी किया है कि उसने पुलिस से सुरक्षा देने की मांग की थी, लेकिन जब पुलिस और जिला प्रशासन से कोई आश्वासन नहीं मिला तो उन्हें फेस्टिवल को रद्द करने का फैसला लेना पड़ा. 

 

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