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विवेकानंद के भाषण से मोदी के भाषण की तुलना, कांग्रेस भड़की

साल 1893 में अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने ऐतिहासिक भाषण दिया था. इस भाषण की तुलना नरेंद्र मोदी के उस भाषण से की गई है जो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 27 सितंबर 2014 को दिया था.

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साल 1893 में अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने ऐतिहासिक भाषण दिया था . इस भाषण की तुलना 27 सितंबर 2014 को  संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए भाषण से की गई है. यह तुलना मध्यप्रदेश के काबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने की है.

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कांग्रेस ने इस तुलना पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि मंत्री के बयान से विवेकानंद का अपमान हुआ है. विजयवर्गीय ने विवेकानंद की जयंती पर एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद संवाददाताओं से कहा, 'मैं विवेकानंद को देख नहीं पाया. लेकिन मैंने उनका शिकागो में दिया भाषण कई बार पढ़ा है. मैं यह भाषण पढ़ने के बाद कल्पना करता था कि उनके इस संबोधन के वक्त कैसा माहौल रहा होगा.'

प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री ने कहा, 'जब मोदी संयुक्त राष्ट्र में भाषण दे रहे थे, तो दुनिया के लोग उनके संबोधन पर रोमांचित होकर तालियां बजा रहे थे. मोदी का यह भाषण सुनने के बाद मुझे लगा कि विवेकानंद के शिकागो में दिए भाषण के वक्त भी लोगों में संभवत: यही कौतूहल रहा होगा. विजयवर्गीय ने कहा, विवेकानंद का असली नाम नरेंद्र था और भारत के प्रधानमंत्री का नाम भी नरेंद्र है.

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प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, विवेकानंद से मोदी की किसी भी रूप में तुलना सरासर गलत है. विजयवर्गीय ने इस संबंध में बयान देकर विवेकानंद का अपमान किया है. सलूजा ने आरोप लगाया कि सूबे के काबीना मंत्री ने विवेकानंद और मोदी के बीच बेमेल तुलना कर देश के उन लाखों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचायी है, जो विवेकानंद को मानते हैं.

- इनपुट भाषा

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