मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार की ओर से राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले स्वामी नामदेव त्यागी (52) उर्फ कम्प्यूटर बाबा ने सोमवार को यह दर्जा छोड़ दिया. कम्प्यूटर बाबा को करीब छह महीने पहले प्रदेश सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा दिया था.
उन्होंने अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा, 'मैंने राज्यमंत्री के दर्जे से त्यागपत्र दे दिया है क्योंकि हजारों संतों ने मुझ पर त्यागपत्र देने का दबाव बनाया था. मुख्यमंत्री ने मुझसे वादा किया था कि मध्य प्रदेश में अवैध रेत खनन नहीं होगा, गाय की दुर्दशा नहीं होगी, मठ-मंदिरों के संत जो कहेंगे, वह करेंगे.'
उन्होंने राज्य सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा, 'उन्होंने (शिवराज सिंह चौहान ) सब ढकोसलापन किया है. मुझसे जो वादे किए थे, ठीक इसके विरुद्ध काम किया मुख्यमंत्री ने.' उन्होंने कहा, 'संतों ने शिवराज से काम कराने का जिम्मा मुझे सौंपा था. शिवराज से काम नहीं करा पाने के लिए संतों ने मुझे 100 में से शून्य नंबर दिए हैं. मैं तो फेल ही हो गया न.'
कम्प्यूटर बाबा ने कहा, 'शिवराज सरकार से काम न करवा पाने के कारण हजारों संतों ने मुझ पर त्यागपत्र देने का दबाव बनाया है. मैं संत हूं. संतों के आदेश का पालन करता हूं. इसलिए इस्तीफा दिया है.'
मकसद में रहा नाकाम
उन्होंने कहा, 'मैं संत-पुजारियों के हित में मठ मंदिर संरक्षण, गौ सरंक्षण, नर्मदा संरक्षण के साथ-साथ अनेक धार्मिक कार्यों के लिए अथक प्रयास करने के बावजूद अपनी बात सरकार से मनवाने में नाकाम रहा. इसलिए त्यागपत्र दिया है.'
मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने इस साल अप्रैल में पांच हिन्दू बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था. इनमें नर्मदानंद महाराज, हरिहरनंद महाराज, कंप्यूटर बाबा, भय्यूजी महाराज और पंडित योगेन्द्र महंत शामिल हैं. इनमें से भय्यूजी महाराज ने कुछ समय पहले खुदकुशी कर ली थी.
बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा देने पर शिवराज सरकार की तीखी आलोचना होने पर मामले को दबाने के लिए मुख्यमंत्री चौहान ने अपने बचाव में कहा था कि प्रदेश सरकार विकास और लोगों के कल्याण के लिए समाज के सभी तबके के लोगों का समर्थन जुटा रही है.