मध्य प्रदेश में गोडसे की पूजा करने वाले हिंदू महासभा के नेता बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस में शामिल होने के 48 घंटे बाद भी पार्टी के भीतर शुरू हुआ द्वंद थमने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार को इस मामले में ट्वीट कर अपनी आपत्ति जताने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कांग्रेस के बड़े नेताओं पर सवालों के तीर दागे हैं.
अरुण यादव ने अपने बयान में कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरआरएस) की विचारधारा को लेकर लाभ-हानि की चिंता किए बगैर जुबानी जंग नहीं, सड़कों पर लड़ता हूं. मेरी आवाज कांग्रेस और गांधी की विचारधारा को समर्पित एक सच्चे कांग्रेस कार्यकर्ता की आवाज है. उन्होंने कहा कि जिस संघ के कार्यालय में कभी तिरंगा नहीं लगता है, उस संघ के इंदौर कार्यालय (अर्चना) पर कार्यकर्ताओं के साथ जाकर मैंने तिरंगा फहराया.
मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि देश के सभी बड़े नेता कहते हैं कि देश का पहला आतंकवादी नाथूराम गोडसे था. आज गोडसे की पूजा करने वाले के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर वे सब खामोश क्यों है? उन्होंने इस विवाद में भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का भी जिक्र किया और कहा कि कि 'यदि यही स्थिति रही तो भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर भी यदि भविष्य में कांग्रेस में आएं तो क्या पार्टी उन्हें स्वीकार करेगी?
अरुण यादव ने यह भी कहा है कि अपनी ही सरकार में कमलनाथ ने इन्ही बाबूलाल चौरसिया और उनके सहयोगियों के खिलाफ ग्वालियर में गोडसे का मंदिर बनाने और पूजा करने के मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था. इन स्थितियों में जब संघ और बीजेपी एकजुट होकर नई पीढ़ी के सामने महात्मा गांधी, नेहरू और सरदार पटेल की इमेज खराब करने की साजिश कर रही है, तब कांग्रेस की गांधीवादी विचारधारा को समर्पित एक सच्चा सिपाही होने के नाते में शांत नहीं बैठ सकता. यह मेरा वैचारिक संघर्ष किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, कांग्रेस की विचारधारा को समर्पित है. इसके लिए हर राजनीतिक नुकसान उठाने को तैयार हूं.