कोरोना वायरस की महामारी के कारण देश में लागू लॉकडाउन की वजह से आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर अन्य सभी दुकानें बंद थीं. शराब की दुकानें भी बंद रहीं. अब, केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन में अनुमति मिलने पर देश के अलग-अलग राज्यों में 4 मई से ही शराब की दुकानें खुल गई हैं. लेकिन, मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में शराब के ठेके अभी भी बंद ही रहे.
दरअसल, प्रदेश सरकार ने रेड जोन के शहरी क्षेत्र को छोड़कर ग्रामीण इलाकों में शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दे दी है, लेकिन शराब के ठेकेदारों के साथ बातचीत में शर्तों को लेकर सहमति नहीं बन पाई. इसी कारण कई स्थानों पर शराब की दुकानें बंद ही रहीं. इससे सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है.
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आजतक से बात करते हुए प्रदेश के आबकारी आयुक्त राजेश बहुगुणा ने बताया कि मार्च और अप्रैल में राजस्व का बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि आबकारी विभाग ने मार्च 2020 में 1995 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा था, लेकिन इस दौरान 1342 करोड़ रुपये का राजस्व ही प्राप्त हुआ. यानी 653 करोड़ रुपये की राजस्व क्षति विभाग को हुई.
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आबकारी आयुक्त ने कहा कि इसी तरह अप्रैल 2020 के 1150 करोड़ रुपये राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन पूरा अप्रैल लॉकडाउन में ही गुजर गया. इस दौरान महज 121 करोड़ रुपये का राजस्व ही प्राप्त हो सका. अप्रैल महीने में आबकारी विभाग को 1029 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ.
नहीं मिले वैट के 118 करोड़ रुपये
आबकारी आयुक्त ने कहा कि शराब की बिक्री नहीं होने से इस पर लगने वाले वैट की धनराशि भी विभाग को नहीं मिल पाई. उन्होंने बताया कि मार्च और अप्रैल में, कुल मिलाकर 118.69 करोड़ रुपये का राजस्व वैट के जरिए प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. इसका भी नुकसान उठाना पड़ा. आबकारी आयुक्त ने कहा कि लॉकडाउन के कारण केवल शराब नहीं बिकने से ही प्रदेश को लगभग 1800 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है.